नई दिल्ली
भारत विरोधी उकसावे और कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए चर्चित बांग्लादेशी देवबंदी मौलवी और आतंकी नेता हारून इजहार ने एक बार फिर विवादास्पद बयान देकर हलचल मचा दी है। हारून इजहार ने दावा किया है कि बांग्लादेश में स्थित भारतीय हाई कमीशन की सुरक्षा वही और उनके समर्थक करेंगे और बांग्लादेश में किसी तरह की ‘मॉब कल्चर’ मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं, हारून इजहार ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वही लोग निभा रहे हैं। हालांकि, जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। बीते दिनों यही कट्टरपंथी समूह बार-बार भारतीय हाई कमीशन और सहायक हाई कमीशनों पर हमले की कोशिश करते रहे हैं।
हाल ही में चट्टोग्राम में भारतीय सहायक हाई कमीशन को निशाना बनाकर पथराव किया गया था। इस घटना में 12 लोगों को हिरासत में लिया गया था। इन्हीं आरोपियों की रिहाई की मांग को लेकर हारून इजहार खुद थाना पहुंचा था। वहीं उसने यह विवादित बयान दिया। हारून इजहार ने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं, क्या दूतावास का कोई शीशा टूटा है? भारत एक आक्रामक और आतंकवादी देश है, लेकिन बांग्लादेश में भारतीय दूतावास एक निर्दोष संस्था है। उसकी सुरक्षा हम देंगे। यहां भारतीय हाई कमीशन के खिलाफ कोई मॉब नहीं बनेगा। पुलिस और प्रशासन बाद की बात है, हम बांग्लादेशी खुद ऐसा होने नहीं देंगे।” उसने आगे कहा, “अगर भारत सीमा पर हमला करेगा, तो हम जवाब देंगे। लेकिन हाई कमीशन निर्दोष है। अगर कोई अलग-थलग व्यक्ति कुछ करता है, तो उसकी जिम्मेदारी हम नहीं लेंगे।”
भारत विरोधी धमकियों का लंबा इतिहास
हारून इजहार का यह बयान ऐसे समय आया है जब उसका अतीत खुद उसके दावों पर सवाल खड़े करता है। हारून इजहार पहले खुले मंच से कह चुका है, “हमने ढाका को हिला दिया है। अगली बारी दिल्ली की है, इंशाअल्लाह।” हाल के महीनों में भी वह कई बार भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दे चुका है। सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया रिपोर्टों में हारून इजहार के अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा से संबंध होने के दावे किए जाते रहे हैं। गौरतलब है कि 2011 में हारून इजहार को लश्कर से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। बाद में वह कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम के साथ सक्रिय हो गया। हालिया दौर में हिफाजत-ए-इस्लाम की ओर से बांग्लादेश में कई भारत-विरोधी कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं।
ओसमान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा
18 दिसंबर को छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद पूरा बांग्लादेश हिंसा और अशांति की चपेट में आ गया। चट्टोग्राम में भी इसका असर देखने को मिला, जहां भारतीय सहायक हाई कमीशन पर हमला करने की कोशिश की गई। प्रदर्शनकारियों ने न केवल पानी की बोतलें बल्कि पत्थर भी फेंके। भीड़ ने भारतीय सहायक हाई कमिश्नर के आवास की ओर मार्च किया और बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस दौरान कट्टरपंथियों ने खुलेआम नारे लगाए कि वे भारतीय हाई कमीशन के साथ युद्ध की स्थिति में हैं।

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