भोपाल
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक विधायक पर पत्नी की ओर से लगाए गए अप्राकृतिक यौन संबंधों के आरोपों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 375 IPC (रेप) के मद्देनजर एक पति पर धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पति-पत्नी के बीच प्राकृतिक संभोग के अलावा कुछ होता है तो उसे 'अप्राकृतिक' नहीं कहा जा सकता है।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने मौजूदा विधानसभा के एक सदस्य (विधायक) के खिलाफ उसकी पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। विधायक की पत्नी ने आईपीसी की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था।
कोर्ट ने कहा कि जब सेक्शन 375 आईपीसी (2013 में संशोधन के बाद) जब पति द्वारा पत्नी के साथ लिंग के सभी संभावित अंगों में प्रवेश को शामिल करता है और जब सहमति अनावश्यक है, तब पति-पत्नी के बीच धारा 377 आईपीसी के तहत अपराध नहीं बनता।
कोर्ट ने सेक्शन 375 के तहत रेप की परिभाषा का भी जिक्र किया और कहा कि प्रावधान महिला के जननांग, मूत्रमार्ग या गुदा लिंग प्रवेश को शामिल करता है और चूंकि जब पति और पत्नी के बीच संबंध में सहमति की आवश्यकता नहीं, इसलिए ऐसे मामलों में अप्राकृतिक अपराध का केस नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति और पत्नी के बीच संबंध संतान पैदा करने के लिए यौन संबंध तक सीमित नहीं किया जा सकता है।

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