
नई दिल्ली
भारत में अक्सर चुनावी हार के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाए जाते हैं। विपक्ष का आरोप होता है कि ईवीएम में हेराफेरी की गई, जिससे उन्हें कम वोट मिले। हालांकि, चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना किसी भी लोकतंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बहुत से लोग मानते हैं कि भारत EVM का इस्तेमाल करने वाला पहला देश था, लेकिन सच्चाई कुछ और है। दुनिया में सबसे पहले EVM का प्रयोग अमेरिका में हुआ था।
अमेरिका में हुई थी शुरुआत
यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि दुनिया में सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल अमेरिका में हुआ था। 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में अमेरिका के कुछ राज्यों ने मतदान प्रक्रिया को तेज और सुविधाजनक बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर प्रयोग शुरू किए। इन प्रयोगों ने ही आधुनिक EVM की नींव रखी।
अमेरिका में EVM का विकास
अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का पहला प्रयोग 1964 में ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन (AVM) के रूप में हुआ। इसके बाद, 1970 के दशक में डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRE) मशीनों का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिसमें मतदाता बटन दबाकर या टचस्क्रीन के जरिए अपना वोट दर्ज करते थे। 1980 के दशक तक, अमेरिका के कई राज्यों ने इन मशीनों को अपना लिया था। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य मतदान की गति और सुविधा बढ़ाना था।
वर्तमान स्थिति: पारदर्शिता पर जोर
आज अमेरिका पूरी तरह से EVM पर निर्भर नहीं है। साल 2000 के राष्ट्रपति चुनाव में फ्लोरिडा के बैलेट विवाद के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर सवाल उठने लगे। इसके बाद से सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर लगातार बहस जारी है। परिणामस्वरूप, कई राज्यों ने अब पेपर बैलेट और EVM का हाइब्रिड सिस्टम अपनाया है। इस प्रणाली में वोट इलेक्ट्रॉनिक मशीन से दर्ज होते हैं, लेकिन साथ ही एक पेपर रिकॉर्ड भी तैयार होता है, जिसे पेपर ट्रेल कहा जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर वोटों की दोबारा गिनती की जा सके।
वर्तमान में, अमेरिका में लगभग 70% वोटिंग मशीनें इलेक्ट्रॉनिक और पेपर बैकअप सिस्टम पर आधारित हैं, जबकि कुछ राज्य अब भी केवल पेपर बैलेट का उपयोग करते हैं। चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि जहां EVM ने सुविधा दी है, वहीं साइबर सुरक्षा और हैकिंग के खतरों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। यही कारण है कि अमेरिका में अब EVM और पेपर ट्रेल (जैसे VVPAT सिस्टम) का मिश्रित मॉडल सबसे ज्यादा प्रचलित है।
अमेरिका, जिसने सबसे पहले EVM का इस्तेमाल शुरू किया, आज भी इस तकनीक पर पूरी तरह भरोसा नहीं करता है। वहां के चुनावों में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के साथ पेपर बैकअप को अनिवार्य बना दिया गया है।
More Stories
भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद 8-10 हफ्तों में हो सकता है सुलझा
शिमला को मिलेगा नया रूप: नगर निगम की अनोखी पहल से बढ़ेगी सफाई व्यवस्था
एयर इंडिया फ्लाइट में हड़कंप: 103 यात्रियों के साथ इमरजेंसी लैंडिंग, अफरातफरी मची