
नई दिल्ली
इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैच की सीरीज का पहला मुकाबला भारतीय टीम हार चुकी है। दोनों पारियों में 5 शतकों, पहली पारी में जसप्रीत बुमराह के 5 विकेट हॉल, दोनों पारियों को मिलाकर 835 रन बनाने के बावजूद अगर भारत लीड्स टेस्ट हारा तो इसकी सबसे बड़ी वजह थी खराब फील्डिंग। भारतीय खिलाड़ियों ने कई कैच छोड़े। यशस्वी जायसवाल की फील्डिंग तो गली क्रिकेट के स्तर से भी नीचे थी। इसके लिए जायसवाल को क्रिकेट फैंस और एक्सपर्ट्स की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। इस बीच क्रिकेट इतिहास के बेस्ट फील्डर में शुमार मोहम्मद कैफ ने जायसवाल के कैच छोड़ने को लेकर बहुत ही बारीक बात समझाई है। तकनीकी बात जिस पर बहुत लोगों की शायद ही नजर जाती हो।
उंगलियों पर पट्टी से छिटक रही गेंद!
कैफ ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करके भारतीय खिलाड़ियों के कैच छोड़ने की तकनीकी वजह का विश्लेषण किया है। उन्होंने कहा, 'यशस्वी जायसवाल इतने कैच क्यों छोड़ रहे हैं? हम ड्यूक बॉल से प्रैक्टिस करते हैं। वहां मौसम ठंडा होता है और जब हमें हाथ पर चोट लगती है तो हम पट्टी लगा लेते हैं। ऐसी स्थिति में उंगलियां जकड़ जाती हैं और उनका फ्री मूवमेंट नहीं हो पाता। आप कैच नहीं पकड़ पाते क्योंकि पट्टी बाधा बनती है। पट्टी स्पॉन्ज का काम करती है। जैसे ही बॉल यहां गिरेगी, यह स्पॉन्ज का काम करेगी। गेंद उस पर लगकर बाउंस के साथ बाहर निकल जाएगी। पट्टी के बगैर आप बढ़िया से कैच पकड़ पाते हैं। गेंद के साथ नेचुरल कनेक्शन नहीं खोना चाहिए।'
यशस्वी का कई कैच छोड़ना भारत को पड़ा महंगा
यशस्वी जायसवाल ने लीड्स टेस्ट में ओली पोप, बेन डकेट और हैरी ब्रूक जैसे खिलाड़ियों को जीवनदान दिया। डकेट का तो उन्होंने दोनों पारियों में कैच छोड़ा। पोप ने पहली पारी में शतक जड़ा। ब्रूक ने 99 रन बनाए और डकेट ने 62 रन। जायसवाल ने दूसरी पारी में भी बेन डकेट का कैच छोड़ा और तब वह 97 रन बनाकर खेल रहे थे। बाद में डकेट ने 149 रन बनाकर भारत से यह मैच छीन लिया।
ड्यूक गेंद से चोट लगने का खतरा ज्यादा
टेस्ट क्रिकेट में 3 तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है- ड्यूक, एसजी और कूकाबुरा। टेस्ट मैच में अलग-अलग देश अलग-अलग तरह की गेंदों का इस्तेमाल करती हैं। इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और आयरलैंड में ड्यूक बॉल का इस्तेमाल होता है। भारत में एसजी यानी सैंसपेयरिल्स ग्रीनलैंड्स बॉल का इस्तेमाल होता है। ऑस्ट्रेलिया समेत बाकी टीमें कूकाबुरा बॉल से खेलती हैं।
ड्यूक बॉल की बात करें तो इसे ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाती है, जिसकी स्थापना 1760 में हुई थी। 1987 में भारतीय कारोबारी दिलीप जजोडिया ने इस कंपनी को खरीद लिया था और तब से इसका स्वामित्व उनके ही पास है। ड्यूक ब्रांड की गेंदों में सीम हाथ से सिली होती है। गोलाई में कुल 6 पट्टियों में धागे से सिलाई हुई होती है। फील्डिंग के दौरान जब इस गेंद की सिम हाथ से टकराती है तो चोट लगने का खतरा बना रहता है।
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