
उमरिया
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं में घोर लापरवाही बरतने, मनमानी करने और शासकीय कार्यों से अनुपस्थित रहने के आरोपों के चलते जनपद पंचायत पाली अंतर्गत दो पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया गया है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभय सिंह ने यह कार्रवाई मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम 1999 के नियम 4 के तहत तत्काल प्रभाव से की है।
पहला निलंबन – विजय सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत गोयरा
मुख्य कार्यपालन अधिकारी की ओर से जारी आदेश के अनुसार ग्राम पंचायत गोयरा के पंचायत सचिव विजय सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय जनपद पंचायत पाली कार्यालय निर्धारित किया गया है। इस अवधि में वे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते के पात्र रहेंगे। निलंबन का कारण ग्राम पंचायत गोयरा में चल रही प्रधानमंत्री आवास योजना, समग्र सीडिंग तथा जल गंगा संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में अत्यंत धीमी प्रगति पाया जाना रहा। समीक्षा बैठक के दौरान स्पष्ट हुआ कि संबंधित सचिव योजनाओं के क्रियान्वयन में न केवल लापरवाह हैं, बल्कि अक्सर पंचायत में अनुपस्थित भी रहते हैं। जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों द्वारा बार-बार उनके विरुद्ध शिकायतें की गई थीं, जिनमें शासकीय कार्यों से दूरी, स्वेच्छाचारिता और जनहित की उपेक्षा जैसे आरोप शामिल थे।
दूसरा निलंबन – छोटेलाल सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत मालाचुआ
इसी तरह ग्राम पंचायत मालाचुआ के पंचायत सचिव छोटेलाल सिंह को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उनके निलंबन का आदेश भी उन्हीं नियमों के अंतर्गत पारित किया गया है। मुख्यालय के रूप में उन्हें भी जनपद पंचायत पाली कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। छोटेलाल सिंह पर भी गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि जल गंगा संवर्धन, प्रधानमंत्री आवास, समग्र सीडिंग और सीएम हेल्पलाइन जैसे प्राथमिक महत्व की योजनाओं में नगण्य प्रगति हुई है। जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से प्राप्त शिकायतों के अनुसार वे प्रायः पंचायत कार्य से दूर रहते हैं और मनमाने तरीके से काम करते हैं। उनका आचरण मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (आचरण) नियम 1998 के नियम 3 के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में पाया गया।
प्रशासन की ओर से सख्त संदेश
जिला पंचायत उमरिया के सीईओ द्वारा की गई इस त्वरित कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि शासकीय योजनाओं और जनहित कार्यों में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन हेतु जवाबदेही तय करना प्रशासन की प्राथमिकता है। पंचायत सचिवों को यह स्पष्ट संकेत है कि यदि वे निर्धारित कर्तव्यों से विमुख होते हैं तो प्रशासनिक कार्रवाई अवश्य की जाएगी। प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से अन्य पंचायत सचिवों और ग्रामीण विकास से जुड़े कर्मचारियों को भी चेतावनी मिलती है कि शासन की योजनाओं में लापरवाही करने वालों को अब पद पर बने रहना संभव नहीं होगा।
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