मेघालय के रास्ते भारत में दाखिल हुए हादी के दो हत्यारे, बांग्लादेश पुलिस का बड़ा दावा

ढाका 
ढाका महानगर पुलिस ने दावा किया है कि बांग्लादेश के चर्चित छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के मुख्य संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत के मेघालय राज्य में प्रवेश कर चुके हैं। पुलिस का कहना है कि हमलावर मयमनसिंह शहर की हलुआघाट सीमा के जरिए अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए और अब वे मेघालय के तुरा शहर में छिपे हो सकते हैं।
 
ढाका पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त एसएन नजमुल इस्लाम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य संदिग्ध फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख के बारे में यह दावा किया है। उनका कहना है कि बताया कि ने स्थानीय साथियों की मदद से दोनों ने सीमा पार की।
पुलिस के अनुसार, दोनों संदिग्धों को सीमा पार करने के बाद पुर्ती नाम के एक व्यक्ति ने रिसीव किया। इसके बाद 'समी' नाम के एक टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें मेघालय के तुरा शहर तक पहुंचाया। बांग्लादेशी अधिकारियों का दावा है कि इन संदिग्धों की मदद करने वाले दोनों व्यक्तियों को भारतीय अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया है। फिलहाल, बांग्लादेश सरकार औपचारिक और अनौपचारिक माध्यमों से भारत के संपर्क में है ताकि आरोपियों की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण सुनिश्चित किया जा सके।

कौन थे शरीफ उस्मान हादी?
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन 'इंकलाब मंच' के प्रवक्ता और एक प्रमुख छात्र नेता थे। वह शेख हसीना सरकार के खिलाफ पिछले साल हुए 'जुलाई विद्रोह' के मुख्य चेहरों में से एक थे। हादी आगामी फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनावों में ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वह भारत की क्षेत्रीय नीतियों और शेख हसीना सरकार के साथ भारत के संबंधों के मुखर आलोचक माने जाते थे।

उस्मान हादी पर 12 दिसंबर को मध्य ढाका के बिजयनगर इलाके में उस समय हमला हुआ, जब वे चुनाव प्रचार कर रहे थे। मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उनके सिर में गोली मारी थी। गंभीर हालत में उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया। हादी की मौत की खबर फैलते ही पूरे बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी।

प्रदर्शनकारियों ने 'प्रोथोम आलो' और 'द डेली स्टार' जैसे प्रमुख समाचार पत्रों के दफ्तरों को निशाना बनाया और आगजनी की। ढाका के छायानाट भवन और उदीची शिल्पी गोष्ठी जैसे सांस्कृतिक संगठनों में भी तोड़फोड़ की गई। हादी के समर्थकों ने इस हत्या के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ होने का आरोप लगाते हुए भारतीय उच्चायोग को बंद करने तक की मांग की। फिलहाल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर इन हत्यारों को पकड़ने का भारी दबाव है। इंकलाब मंच ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे पूरे देश में और बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।

 

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