बस्तर
छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल ऑपरेशन ने नक्सलियों की बीते महीनों में कमर तोड़ कर रख दी है। कुछ ने या तो सरेंडर कर दिया या मौत के घाट उतार दिए गए। सुरक्षाबलों को उनके इस पराक्रम के लिए अब पुरस्कृत भी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ पुलिस के दो बहादुर इंस्पेक्टर, केवट और देशमुख को नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियानों का नेतृत्व करने और उग्रवादियों को खत्म करने के लिए शौर्य पदक से सम्मानित किया जाएगा। दोनों को केंद्र सरकार की ओर से शौर्य पदक के लिए नामित किया गया है।
शौर्य चक्र के लिए चुने जाने पर टीआई पाखनजुर लक्ष्मण केवट ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की समय सीमा तय की है। इसे ध्यान में रखते हुए हम नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार काम कर रहे हैं। मुझे छह बार राष्ट्रपति का वीरता पदक मिल चुका है और अब मुझे शौर्य चक्र भी मिला है। हम इस समय सीमा को पूरा करने के लिए पूरी लगन से काम कर रहे हैं और मुझे विश्वास है कि मार्च 2026 से पहले ही नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा। ”
दूसरे शौर्य मेडल के लिए नामित किए जाने पर टीआई भानुप्रतापुर रामेश्वर देशमुख ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह वाकई मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मुझे हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा शौर्य चक्र के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि साल 2012 से मैं नक्सल विरोधी अभियान में शामिल रहा हूं। मेरे नेतृत्व में करीब 50 माओवादियों को मौत के घाट उतारा गया। मुझे दो बार वीरता पदक और एक दक्षता पदक भी मिल चुका है।

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