
उज्जैन
उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन ने श्रावण माह की तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने बताया कि श्रावण माह 11 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस दौरान कुल 6 सवारियां निकलेंगी, जिनमें पहली सवारी 14 जुलाई को निकलेगी। इस वर्ष सवारियों को विशेष बनाने के लिए प्रत्येक सवारी की अलग-अलग थीम रखी जाएगी। मंदिर प्रशासन ने सवारी मार्ग पर स्थित जर्जर मकानों और छज्जों को हटाने के निर्देश दिए हैं। एसपी प्रदीप कुमार शर्मा ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जीरो सेल्फी कैम्पेन की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सेल्फी लेने से अन्य श्रद्धालुओं के दर्शन में बाधा उत्पन्न होती है।
बैठक में मंदिर समिति के प्रशासक और एडीएम प्रथम कौशिक ने पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से सवारियों की व्यवस्थाओं की जानकारी दी। साथ ही आगामी त्योहारों को लेकर शांति समिति के सदस्यों से चर्चा की गई। एसपी ने शहरवासियों से सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों से सावधान रहने और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करने का आग्रह किया।
कुल छह सवारियां निकलेगी
श्रावण-भादौ मास में प्रथम सवारी सोमवार 14 जुलाई, द्वितीय सवारी 21 जुलाई, तृतीय सवारी 28 जुलाई, चतुर्थ सवारी 4 अगस्त को श्रावण मास में निकाली जाएगी। इसी तरह भादौ मास में पंचम सवारी 11 अगस्त तथा राजसी (शाही) सवारी सोमवार 18 अगस्त को निकाली जाएगी।
इन मार्गो से निकलेगी सवारी
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी श्री महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में सांय 4 बजे पूजन-अर्चन उपरांत गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां सवारी का पूजन-अर्चन होने के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर में वापस आएगी।
ट्रॉले पर रखी पालकी में आएंगे पालनहार
श्रावण मास की बाबा महाकाल की सवारी में श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। बुजुर्ग महिलाएं, दिव्यांग, नन्हे बच्चे ,पालकी के दर्शन नहीं कर पाते, जिससे हर शहरवासी और जिमेदार मन मसोसकर रह जाते हैं। पत्रिका ने दर्शनार्थियों की बाबा की सुलभ झलक पाने की गुहार को आवाज दी तो शहरवासी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। ऐसी ही अनूठी प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसे शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके ने दी है।
सुविधाएं बदली परम्परा नहीं
उन्होंने एक मॉडल बनाया और उसे साझा किया है। उनका कहना है, इतिहास गवाह है- परंपराएं तो प्रभु ने अपने भक्तों के लिए, उनकी सुविधाओं के लिए बदली है। पालकी की ऊंचाई में अभिवृद्धि हो, इसके लिए इंजीनियर एवं जानकारों के साथ एक मॉडल का रेखाचित्र महाकाल मंदिर प्रबंध समिति, कलेक्टर, मुख्यमंत्री, विधायक, महामडलेश्वर आदि को पूर्व में वर्ष 2016 से कई बार दिया जा चुका है। इस मॉडल को आंतरिक रूप से स्वीकार भी कर लिया गया है।
इस मॉडल से सुलभ होंगे महाकाल के दर्शन, भीड़ भी रहेगी नियंत्रित
इस मॉडल के अंतर्गत न तो पालकी के स्वरूप में परिवर्तन होगा और न ही पंडित, पुजारी, कहारगण किसी भी प्रकार से प्रभावित हो रहे हैं। यथावत स्थिति में छोटे ट्राले पर पालकी पर विराजमान महाकालेश्वर का विग्रह स्वरूप व्यवस्थित ऊंचाई पर सभी के लिए सुलभ दर्शन के रूप में रहेगा। इससे भीड़ नियंत्रण भी होगा।
पुलिस प्रशासन का तनाव भी कम होगा। सुरक्षा की दृष्टि से भी यह मॉडल आम श्रद्धालुओं के लिए बेहतर होगा। उज्जैन में कोई बड़ा हादसा न हो, इसके लिए शीघ्र ही मॉडल बनाकर सवारी में प्रायोगिक तौर पर चलाया जाना चाहिए। जनता जनार्दन की सहमति होने पर आगामी सवारी में मॉडल को लागू किया जाना चाहिए।
खूबसूरती से सजाया जाए मॉडल को
इस मॉडल के अंतर्गत छोटे ट्रैक्टर को नंदी का स्वरूप देकर ट्राले को चलाया जा सकता है। ट्राला बहुत खूबसूरती से सजाया जा सकता है, जिसमें त्रिशूल, डमरू, बिलपत्र आदि द्वारा सुंदर रूप दिया जा सकता है। ट्राले के निचले भाग में आधुनिक जनरेटर हो, जिससे लाइट की व्यवस्था सुचारू चलती रहे।
साथ ही जीपीएस सिस्टम, जैमर और अति आधुनिक उपकरणों से युक्त यह सुलभ दर्शन चलित मंच के रूप में रहेगा, जिसके दोनों और पोर्टेबल सीढ़ियां रहेंगी, जिससे वीआईपी एवं श्रद्धालु पूजा एवं आरती के लिए आ सकेंगे। यह मॉडल खाती समाज के मंदिर की गली से भी आसानी से निकल सकेगा।
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मूलभूत सुविधाओं का रखें ध्यान
बाबा महाकाल की सवारी में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने सवारी मार्ग पर उपस्थित रहते हैं। सुलभ दर्शन के लिए पालकी की ऊंचाई के साथ साथ मूलभूत सुविधाएं जैसे शुद्ध पेयजल, शौचालय, पार्किंग एवं छायादार शेड की व्यवस्था करना चाहिए।
अर्पित गोयल अनंत, पूर्व अध्यक्ष- अग्रवाल नवयुवक मंडल
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