इजरायल
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने इजरायल को जर्मनी द्वारा की जाने वाली हथियार सप्लाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में यह मामला दायर किया था और आरोप लगाया था कि जर्मनी ने इजरायल को सैन्य उपकरण भेजकर संयुक्त राष्ट्र नरसंहार संधि का उल्लंघन किया है लेकिन ICJ ने इसके खिलाफ फैसला दिया है। वैसे तो ICJ से अंतिम फैसला आने में वर्षों लग सकते हैं लेकिन यह फैसला आपातकालीन उपायों को तेजी से लागू करने के लिए दिया गया है।
ICJ के प्रधान न्यायाधीश नवाफ सलाम ने मंगलवार की दोपहर नीदरलैंड के हेग स्थित अदालत में यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान जर्मन सरकार ने कहा था कि यह मुकदमा अनुचित है। दूसरी तरफ इजरायल भी मजबूती के साथ इस बात से इनकार करता रहा कि उसका सैन्य अभियान नरसंहार संधि का उल्लंघन है। बता दें कि जर्मनी इजरायल का कट्टर समर्थक और अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा हाथियार सप्लायर है।
वर्ष 2023 में इजरायल ने अपने सैन्य उपकरणों की खरीद का करीब 30% हिस्सा सिर्फ जर्मनी से आयात किया है, जो पिछले साल 2022 की तुलना में दस गुना ज्यादा है। 2022 में इजरायल ने जर्मनी से कुल 326.5 मिलियन डॉलर का हथियार जर्मनी से मंगवाया था। निकारागुआ ने आरोप लगाया था कि इजरायल को हथियार बेचने की वजह से जर्मनी भी इजरायल के कथित युद्ध अपराधों में भागीदार बन गया है। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल को सबसे ज्यादा अमेरिका 65.6 फीसदी, जबकि जर्मनी 29.7 फीसदी और इटली 4.7 फीसदी हथियार सप्लाई करता है।
इस बीच, इजराइल ने हर बार की तरह नरसंहार के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि गाजा में उसकी सैन्य कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ हमास को नष्ट करने पर केंद्रित है। बता दें कि निकारागुआ ने मार्च की शुरुआत में हेग में यह मामला लाया था और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों से अनुरोध किया था कि वे बर्लिन को इजराइल को हथियार और अन्य सहायता प्रदान करने से रोकने के लिए आपातकालीन आदेश जारी करें। याचिका में यह भी कहा गया था कि जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसी, UNRWA को फंडिंग बंद करके संयुक्त राष्ट्र नरसंहार संधि का उल्लंघन किया है।
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