‘सुशासन दिवस’ पर मध्यप्रदेश पुलिस की अभिनव पहल
डिजिटल युग में न्याय प्रक्रिया को मिली गति
भोपाल
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाए जाने की परंपरा के अनुरूप, मध्यप्रदेश पुलिस ने सुशासन को सशक्त करने की दिशा में नवाचार के रूप में ‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था प्रारंभ की है। यह व्यवस्था 01 लाख रुपये से अधिक की सायबर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में लागू की गई है। ‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सायबर सुरक्षित भारत’ विज़न के अनुरूप है, जिसका उल्लेख उन्होंने अक्टूबर 2024 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में किया था। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में देशभर में सायबर अपराध से निपटने के लिये ऐतिहासिक एवं तकनीक-आधारित कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा ई-जीरो एफआईआर प्रणाली के क्रियान्वयन से यह स्पष्ट होता है कि तकनीक के माध्यम से न्याय प्रक्रिया को तेज और आम नागरिकों के लिए अधिक सरल, सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकता है। मध्यप्रदेश में लागू यह प्रणाली पुलिस को अपराधियों से एक कदम आगे रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
प्रदेश में बढ़ते सायबर अपराधों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तकनीक के दुरुपयोग से जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाले अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री का मानना है कि जिस प्रकार स्वच्छता को हमने अपनी संस्कृति बनाया है, उसी प्रकार सायबर स्वच्छता को भी जन-आंदोलन बनाना होगा।
प्रदेश में ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था का संचालन पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाणा के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री ए. साई मनोहर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इस व्यवस्था का उद्देश्य पुलिस को अधिक तेज, तकनीक-सक्षम और नागरिक-केंद्रित बनाना है।
सायबर वित्तीय धोखाधड़ी पर प्रभावी प्रहार
सायबर वित्तीय धोखाधड़ी आज पुलिस के समक्ष एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। कई बार पीड़ित की जीवनभर की कमाई कुछ ही क्षणों में अपराधियों के हाथों में चली जाती है, जिससे वह स्वयं को असहाय महसूस करता है। इसी पीड़ा को समझते हुए गृह मंत्रालय द्वारा ‘ई-जीरो एफआईआर’ की अवधारणा लागू की गई है, ताकि तकनीक को अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी हथियार बनाया जा सके।
कानूनी आधार : BNSS और डिजिटल परिवर्तन
जुलाई 2024 से लागू हुए नए आपराधिक कानून ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (बीएनएसएस) नागरिक-केंद्रित हैं। इनका मूल उद्देश्य ‘दंड नहीं, बल्कि न्याय’ पर फोकस रहना है। बीएनएसएस की धारा 173 के अंतर्गत ‘जीरो एफआईआर’ को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है, जिससे नागरिक देश में कहीं से भी, किसी भी क्षेत्राधिकार में घटित अपराध के लिए, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
ई-जीरो एफआईआर: एक क्रांतिकारी व्यवस्था
‘ई-जीरो एफआईआर’ सायबर वित्तीय धोखाधड़ी—विशेषकर ₹1 लाख से अधिक की हानि के मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को अत्यंत तेज बनाती है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाओं को समाप्त कर जांच प्रक्रिया को तत्काल प्रारंभ करना है। यह प्रणाली तीन प्रमुख डिजिटल मंचों का एकीकरण करती है। नेशनल सायबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी), I4सी (भारतीय सायबर अपराध समन्वय केंद्र) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस)।
ई-जीरो एफआईआर पंजीकरण की 5-चरणीय प्रक्रिया
शिकायत दर्ज करना – पीड़ित 1930 हेल्पलाइन या NCRP पोर्टल पर शिकायत करता है। ₹1 लाख से अधिक की धोखाधड़ी होने पर डेटा सीधे भोपाल स्थित केंद्रीय सायबर पुलिस हब को भेजा जाता है।
ऑटोमैटिक जनरेशन – सीसीटीएनएस सर्वर के माध्यम से शिकायत स्वतः ‘ई-जीरो एफआईआर’ में परिवर्तित हो जाती है। पीड़ित को तुरंत ‘ई-जीरो एफआईआर’ नंबर उपलब्ध कराया दिया जाता है।
समीक्षा एवं हस्तांतरण – राज्य स्तरीय सायबर पुलिस स्टेशन द्वारा समीक्षा कर प्रकरण संबंधित क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है।
नियमित एफआईआर में परिवर्तन – शिकायतकर्ता को 3 दिन के अंदर नजदीकी सायबर पुलिस स्टेशन में ‘ई-जीरो एफआईआर’ को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कराना होता है।
सायबर अपराध में ‘गोल्डन ऑवर’ का महत्व
सायबर अपराध में धोखाधड़ी के बाद के पहले 2 घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ माना जाता है। यदि पीड़ित तुरंत 1930 पर संपर्क करता है, तो I4C एवं बैंकों के सहयोग से अपराधी के खाते में राशि पहुंचने से पहले ही उसे फ्रीज किया जा सकता है। ई-जीरो एफआईआर के माध्यम से आईपी लॉग, ट्रांजैक्शन आईडी जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य तत्काल और कानूनी रूप से सुरक्षित किए जाते हैं।
‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था के प्रमुख लाभ
‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था देश में कहीं से भी कहीं भी हुई सायबर या वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत शिकायत दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराती है। इससे क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाओं से मुक्ति मिलती है, केस की स्थिति ऑनलाइन देखने की सुविधा मिलती है, शीघ्र एफआईआर से बैंकिंग चैनल सक्रिय, हो जाते हैं, राशि वापसी की संभावना अधिक हो जाती है साथ ही पोर्टल पर सीधे स्क्रीनशॉट और रसीदें अपलोड करने की सुविधा मिलने से आवश्यक दस्तावेज हमेशा उपलब्ध बने रहते हैं।

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