नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग को राहत देते हुए पुराने प्रावधानों के तहत एक अप्रैल 2021 के बाद राजस्व विभाग द्वारा जारी करीब 90,000 पुनर्मूल्यांकन नोटिस की वैधता बरकरार रखी है।
शीर्ष अदालत ने कई उच्च न्यायालयों के फैसलों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि कराधान व अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन) अधिनियम (टीओएलए) 2021 आयकर अधिनियम के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने की समय सीमा नहीं बढ़ाएगा।
टीओएलए को कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान आयकर अनुपालन की समय सीमा बढ़ाने के लिए लाया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने तीन संसदीय कानूनों आयकर अधिनियम, टीओएलए और वित्त अधिनियम के परस्पर प्रभाव से संबंधित दो कानूनी प्रश्नों पर विचार किया।
शीर्ष अदालत ने इस सवालों पर गौर किया, ‘‘क्या टीओएलए तथा इसके तहत जारी अधिसूचनाएं एक अप्रैल 2021 के बाद जारी किए गए पुनर्मूल्यांकन नोटिस पर भी लागू होंगी और क्या जुलाई तथा सितंबर 2022 के बीच नई व्यवस्था की धारा 148 के तहत जारी किए गए पुनर्मूल्यांकन नोटिस वैध हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने 112 पृष्ठों का फैसला लिखते हुए कहा, ‘‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि एक अप्रैल 2021 के बाद आयकर अधिनियम को प्रतिस्थापित प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए और यदि आयकर अधिनियम के प्रतिस्थापित प्रावधानों के तहत निर्दिष्ट कोई कार्रवाई या कार्यवाही 20 मार्च 2020 तथा 31 मार्च 2021 के बीच पूरी होनी है… तो टीओएलए एक अप्रैल 2021 के बाद भी आयकर अधिनियम पर लागू होता रहेगा।’’
पीठ ने कहा कि टीओएलए का प्रावधान ‘‘ आयकर अधिनियम की धारा 149 को केवल आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने की समय सीमा में छूट देने तक ही सीमित है।’’
पुनर्मूल्यांकन नोटिस को चुनौती देते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों में 9,000 से अधिक याचिकाएं दायर की गईं और करदाताओं के पक्ष में कई फैसले पारित किए गए। इसके बाद ही राजस्व विभाग को सर्वोच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा था।
केंद्र ने मार्च 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाने की घोषणा की थी और टीओएलए लेकर आया था। 2021 के इस अधिनियम ने पूर्वव्यापी प्रभाव से ‘‘ निर्दिष्ट अधिनियमों के तहत कार्यों को पूरा करने या अनुपालन करने’’ की समय सीमा 20 जून 2020 तक बढ़ा दी। इसके बाद 24 जून 2020 को केंद्र ने टीओएलए के तहत एक अधिसूचना जारी की जिसमें निर्दिष्ट अधिनियमों के तहत कार्रवाई को पूरा करने या अनुपालन करने की समय सीमा 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दी गई।
शीर्ष अदालत ने आयकर विभाग की अपील स्वीकार कर ली।
आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए पुनर्मूल्यांकन नोटिस 2013-14 से 2017-18 तक के कर निर्धारण वर्षों से संबंधित हैं। इसमें शामिल राशि हजारों करोड़ रुपये तक हो सकती है।
पीठ को यह निर्धारित करना था कि क्या वैश्विक महामारी के दौरान विशिष्ट अधिनियमों के तहत समय सीमा में छूट देने वाले टीओएलए का लाभ पुनर्मूल्यांकन के लिए समय सीमा को नियंत्रित करेगा।
बंबई, गुजरात और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों ने विभिन्न आधारों पर सभी पुनर्मूल्यांकन नोटिस रद्द कर दिए थे। उनका मुख्य तर्क यह था कि नए प्रावधान अधिक लाभकारी थे और करदाताओं के अधिकारों तथा हितों की रक्षा के लिए थे।
इन उच्च न्यायालयों ने कहा था कि टीओएलए पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने की समय सीमा नहीं बढ़ाएगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एक अप्रैल 2021 के बाद आयकर अधिनियम के प्रतिस्थापित प्रावधान पूर्वव्यापी रूप से लागू होंगे, यहां तक कि पिछले मूल्यांकन वर्षों के लिए भी.. परिणामस्वरूप नई पुनर्मूल्यांकन व्यवस्था को टीओएलए के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जिसने वैश्विक महामारी के कारण अस्थायी रूप से समय सीमा बढ़ा दी थी।
वैश्विक महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए आयकर विभाग को 20 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 के बीच जारी किए गए नोटिस के लिए विस्तारित समय सीमा का लाभ उठाने की अनुमति दी गई।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि टीओएलए पुरानी पुनर्मूल्यांकन व्यवस्था के संचालन को संशोधित धारा 149 में निर्दिष्ट समय-सीमा से आगे नहीं बढ़ा सकता।
आयकर अधिनियम की धारा 149 करदाताओं को आयकर नोटिस जारी करने की समय-सीमा से संबंधित है। इसके तहत ‘‘ संबंधित कर समीक्षाधीन वर्ष के लिए धारा 148 के तहत कोई नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।’’
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