हिंदू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या साल 2025 में 19 दिसंबर (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। यह वर्ष की अंतिम अमावस्या है, जिसका विशेष महत्व पितृ तर्पण, स्नान-दान और आध्यात्मिक उपायों के लिए बताया गया है। कई लोगों में 18 या 19 दिसंबर को लेकर भ्रम रहता है, लेकिन पंचांग अनुसार पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या 19 दिसंबर को ही मानी जाएगी।
पौष अमावस्या का धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार पौष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान और पूजा से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
पौष अमावस्या पर पितरों के लिए विशेष कर्म
इस दिन सुबह स्नान के बाद
दूध और चावल की खीर बनाकर पितरों को भोग लगाएं।
गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर भोग अर्पित करें।
एक लोटे में जल, गंगाजल, दूध, तिल और चावल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें।
यदि खीर बनाना संभव न हो, तो घर में बना शुद्ध और ताजा भोजन भी भोग में अर्पित किया जा सकता है।
पौष अमावस्या के चमत्कारी उपाय
तरक्की और सफलता के लिए
तुलसी की जड़ की थोड़ी मिट्टी में जल मिलाकर लेप बनाएं, शरीर पर लगाकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु को प्रणाम करें। यह उपाय उन्नति के मार्ग खोलता है।
शत्रु भय से मुक्ति हेतु
भगवान विष्णु के 12 नामों (केशव, नारायण, माधव, गोविन्द, विष्णु, मधुसूदन, त्रिविक्रम, वामन, श्रीधर, हृषीकेश, पद्मनाभ और दामोदर) का स्मरण करते हुए 12 पीले फूल अर्पित करें। शाम को फूलों को पीपल के नीचे रखें या बहते जल में प्रवाहित करें।
मान-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए
किसी कन्या या जरूरतमंद विवाहित महिला को पीले वस्त्र दान करें और आशीर्वाद लें।
संकटों से रक्षा के लिए
मंदिर में लाल वस्त्र पर श्रीमद्भागवत गीता स्थापित कर 11 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें। गीता को नेत्रों से लगाएं।
धन-वृद्धि के लिए
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। 11 अक्षत अर्पित करते हुए “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥” मंत्र का जाप करें। अक्षत को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
पौष अमावस्या 2025 पितृ कृपा, धन-समृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का श्रेष्ठ अवसर है। श्रद्धा और नियम से किए गए उपाय किस्मत के द्वार खोल सकते हैं।

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