
जबलपुर
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो राजेश वर्मा पर महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इसकी जांच में लापरवाही को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा ने जांच के लिए तीन सदस्यीय आईपीएस अधिकारियों के कमेटी गठित करने के आदेश जारी किए हैं। कमेटी की अध्यक्षता आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे और पुलिस अधीक्षक रैंक की एक महिला अधिकारी सदस्य रहेंगी। कमेटी में जबलपुर जिले से किसी को शामिल नहीं किया जाएगा। एकलपीठ ने तीन दिनों में एसआईटी गठित करने के आदेश राज्य सरकार को जारी किए हैं।
कुलपति के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पदस्थ महिला अधिकारी ने कुलपति डॉ राजेश कुमार वर्मा के खिलाफ कार्यस्थल में यौन शोषण की शिकायत की थी। शिकायत पर कार्यवाही नहीं होने के कारण पीड़ित महिला अधिकारी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका में कहा गया था कि 21 नवंबर 2024 को एक मीटिंग के दौरान कुलगुरु ने अपने कक्ष में उन्हें अभद्र इशारे किये थे। कुलगुरु ने मर्यादा के सबके सामने विपरीत अशोभनीय टिप्पणी करते हुए अभद्र इशारे किए थे। घटना दिनांक की कुलपति कक्ष में लगे सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग उन्होने सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी,जो प्रदान नहीं की गयी। सरकार याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया था कि जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठित की गयी है। इसके अलावा घटना दिनांक के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा गया है।
सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं की
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से घटना दिनांक की सीसीटीवी फुटेज जांच कमेटी के समक्ष पेश नहीं की गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच कमेटी को बताया कि सीसीटीवी में खराबी आने के कारण फुटेज डाउनलोड नहीं हुआ। एकलपीठ ने जिला कलेक्टर को विश्वविद्यालय में लगे कैमरों की जांच फॉरेन्सिक व तकनीकी विशेषज्ञों से करवाने के आदेश जारी किए थे।
जिला कलेक्टर के द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट का अवलोकन करने पर एकलपीठ ने पाया था कि उसमें कुलपति के कमरे में घटना के दिन सीसीटीवी कैमरा काम कर रहा था या नहीं, इसका कोई उल्लेख नहीं है। एकलपीठ ने कमेटी द्वारा जब्त दस्तावेज, गवाहों के बयान और अन्य तत्वों का परीक्षण कर जांच के संबंध में हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे।
जांच के साक्ष्य में रुचि नहीं दिखाई
जिला कलेक्टर ने प्रस्तुत हलफनामा में जांच पर असंतुष्टि व्यक्त की थी। एकलपीठ ने पाया कि जांच कमेटी ने शिकायत की जांच के दौरान साक्ष्य एकत्र करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। समिति के दौरान पेश की गयी जांच रिपोर्ट संतोषजनक है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में एक महिला कर्मचारी द्वारा की गई गंभीर शिकायत के बावजूद मामले की उचित जांच नही करवाते हुए प्रतिवादी अधिकारी मनमानी कर रहे है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का तर्क है कि जिस व्यक्ति पर पीड़िता ने आरोप लगाए हैं, वह प्रभावशील व्यक्ति है और उसके उच्च राजनीतिक संबंध हैं।
एमपी हाईकोर्ट ने अधिकारियों को उचित जांच करने का अवसर दिया था परंतु प्रस्तुत रिपोर्ट असंतोषजनक है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।
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