मुंबई
कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी के लिए गुड न्यूज है। उनकी कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरधारकों ने प्रीफेरेंशियल इश्यू के जरिए शेयर जारी करने और क्यूआईपी रूट के माध्यम से 6,000 करोड़ रुपये जुटाने की कंपनी की योजना को मंजूरी दे दी है। कंपनी ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि दोनों प्रस्तावों को शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। पोस्टल बैलट के जरिए से प्रस्तावों के पक्ष में 98 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड ने 19 सितंबर को 6,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना को मंजूरी दी थी। इसमें से 3,014 करोड़ रुपये शेयरों या परिवर्तनीय वारंट के तरजीही आवंटन के जरिए जुटाए जाने थे, जबकि 3,000 करोड़ रुपये क्यूआईपी के जरिए जुटाए जाएंगे।
पहले चरण में, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर 240 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य पर 12.56 करोड़ इक्विटी शेयर या परिवर्तनीय वारंट जारी करके 3,014 करोड़ रुपये का तरजीही नियोजन शुरू कर रहा है। इसमें से 1,104 करोड़ रुपये रिलायंस इन्फ्रा के प्रमोटर अपनी कंपनी राइजी इनफिनिटी के जरिए निवेश करेंगा। राइजी कंपनी के 4.60 करोड़ शेयर खरीदेगी। प्रीफेरेंशियल इश्यू में भाग लेने वाले दो अन्य निवेशक मुंबई स्थित फॉर्च्यून फाइनेंशियल एंड इक्विटीज सर्विसेज और फ्लोरिंट्री इनोवेशन एलएलपी हैं। फ्लोरिंट्री का स्वामित्व ब्लैकस्टोन के पूर्व कार्यकारी मैथ्यू साइरियाक के पास है, जबकि फॉर्च्यून फाइनेंशियल का स्वामित्व निमिश शाह के पास है।
रिलायंस कैप में पचड़ा
इस बीच अनिल अंबानी की एक और कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हिंदूजा ने इस कंपनी को ₹9,650 करोड़ में खरीदा था। लेकिन इस डील को अब तक कई तरह की रेगुलेटरी अप्रूवल नहीं मिल पाए हैं। पिछले महीने जारी किए गए हिंदुजा ग्रुप के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के निवेशकों इसका मनमाफिक यूज नहीं कर पा रहे हैं। इस डील को रिलायंस कैपिटल के लेनदारों ने एक साल से अधिक समय पहले और एनसीएलटी ने फरवरी में मंजूरी दे दी थी।
लेकिन अब इसे आरबीआई, डीपीआईआईटी और इरडाई सहित अन्य से प्रमुख रेगलेटर्स से मंजूरी नहीं मिली है। डिबेंचर ट्रस्ट डीड के अनुसार हिंदुजा ग्रुप पर मंजूरी में तेजी लाने का दबाव बढ़ रहा है। इसकी डेडलाइन 30 नवंबर को खत्म हो रही है। एक सूत्र ने कहा कि ट्रस्ट डीड में उल्लेख है कि अधिग्रहण 30 नवंबर तक पूरा होना चाहिए। अगर तब तक सौदा पूरा नहीं होता है, तो पैसे वापस करने होंगे। हिंदुजा ग्रुप ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए ₹9,650 करोड़ की बोली लगाई थी। इसके लिए कंपनी इक्विटी और ऋण के जरिए पैसा जुटाएगी।
कहां फंसा है मामला
इसमें से ₹7,300 करोड़ ऋण के माध्यम से जुटाए जाने हैं। पिछले महीने हिंदुजा ग्रुप ने 360 वन, टाटा कैपिटल और आदित्य बिड़ला फाइनेंस जैसे संस्थानों से निवेश के साथ साइक्वर इंडिया से एनसीडी के माध्यम से ₹3,000 करोड़ जुटाए। बाकी 4,300 करोड़ रुपये बार्कलेज के नेतृत्व वाले एनसीडी के माध्यम से जुटाए जाने की उम्मीद है। डीपीआईआईटी से मंजूरी मिलने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि इक्विटी निवेश हिंदुजा ग्रुप की एक विदेशी यूनिट से आ रहा है।
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