सौरभ शर्मा ने नहीं कबूला कार में मिला 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये किसके, घोषित हो सकती है सरकार संपत्ति

भोपाल

भोपाल के मेंडोरी में इनोवा कार से जब्त किए गए 11 करोड़ रुपए कैश और 52 किलो गोल्ड के मामले में सबसे अहम किरदार चेतन सिंह गौर बनेगा। अब तक लोकायुक्त, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और आयकर विभाग सौरभ शर्मा से यह कबूल नहीं करा सके हैं कि यह सोना और कैश उसका है।

सौरभ शर्मा द्वारा कैश और गोल्ड खुद का न मानने की स्थिति में चेतन को या तो उसे स्वीकार करना होगा कि यह सब उसका है अन्यथा उसे यह साबित करना होगा कि यह सौरभ शर्मा का है। इसके साथ ही आयकर विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी होगी कि कैश और ज्वेलरी के असली मालिक की तलाश करें।

आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों से अब तक तीन एजेंसियों लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग ने पूछताछ की है। सूत्र बताते हैं कि अब तक हुई पूछताछ में सौरभ शर्मा ने यह स्वीकार नहीं किया है कि मेंडोरी में इनोवा कार में मिला सोना और कैश उसका है। ऐसे में आयकर अफसरों के समक्ष यह परेशानी है कि उसके मालिक को सामने लाएं और अपनी जांच रिपोर्ट फाइल करें। सोमवार से शुक्रवार तक लगातार चार दिन तक केंद्रीय जेल में पहुंचकर पूछताछ कर रहे अधिकारियों की आगे भी अभी पूछताछ चलते रहने की संभावना है।

सौरभ ने नहीं स्वीकारा तो ये स्थितियां बनेंगी

आरके पॉलीवाल बताते हैं कि एक स्थिति यह भी बन सकती है कि सौरभ की मनाही पर आयकर विभाग के समक्ष चेतन सिंह गौर यह साबित कर दे कि गाड़ी भले ही उसकी है लेकिन उसे उसने किराए पर दे रखा था और जिस व्यक्ति को दिया था, उसी की संपत्ति है लेकिन इसके लिए उसे यह साबित करने वाले प्रूफ जांच टीम को देने होंगे।

पूरे मामले की जांच कर रहे अफसरों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे संपत्ति के असली मालिक की तलाश करें और इन्वेस्टिगेशन के हर एंगल का ध्यान रखें ताकि सच सामने आए।

दूसरी स्थिति यह बनेगी

अगर जांच के बाद किसी भी स्थिति में साबित नहीं होता कि संपत्ति किसकी है तो सरकार के कब्जे में आ चुकी यह राशि और सोना सरकारी घोषित कर दिया जाएगा लेकिन ऐसी स्थिति बनने पर जांच टीम पर सवाल उठेंगे। इसलिए आयकर विभाग हर हालत में पूछताछ करके इसके असली मालिक की तलाश करेगा।

अगर सौरभ या चेतन में से किसी ने यह स्वीकार कर लिया कि जब्त किया गया कैश और गोल्ड उनका है तो जो जब्त हुआ है उसकी आय का स्त्रोत बताना होगा और इसके बाद 200 प्रतिशत पेनल्टी और अलग-अलग धाराओं में ईडी केस बना सकेगी। साथ ही आयकर विभाग में अलग से पेनल्टी और ब्याज की वसूली करेगा।

जमानत याचिका हो चुकी है खारिज

ईडी की अदालत ने 20 फरवरी को सौरभ शर्मा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. सौरभ के वकील ने जमानत देने के पक्ष में कोर्ट में तर्क रखा था कि उनके मुवक्किल की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. उनके पास से कोई जब्ती भी नहीं हुई. इसके साथ ही वह जांच एजेंसियों का वह पूरा सहयोग करेंगे. लिहाजा, उन्हें जमानत दी जानी चाहिए. वहीं, सरकारी वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया था.
फार्म हाउस से मिला था 52 किलो सोना

धनकुबेर सौरभ शर्मा के फॉर्म हाउस पर छापेमारी में 52 किलोग्राम सोना और 11 करोड़ रुपये कैश बरामद हुआ था. कई दिनों तक पुलिस से फरार चल रहे सौरभ शर्मा को लोकायुक्त ने गिरफ्तार किया था.

चेतन सिंह गौर की जिम्मेदारी बढ़ी

यदि सौरभ शर्मा संपत्ति के मालिक होने से इनकार करते हैं, तो अब चेतन सिंह गौर को यह साबित करना होगा कि यह संपत्ति उसकी है। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यदि चेतन ने स्वीकार किया कि गाड़ी उसकी है, तो उसे यह साबित करना होगा कि वह संपत्ति किसी और को किराए पर दी गई थी। जांच अधिकारियों का मानना है कि चेतन सिंह गौर पर अब इस मामले की जिम्मेदारी आ सकती है।

क्या हो सकता है अगर मालिक सामने नहीं आया?

अगर जांच के बाद यह साबित नहीं होता कि जब्त की गई संपत्ति किसकी है, तो उसे सरकार के कब्जे में लिया जाएगा और सरकारी संपत्ति घोषित किया जाएगा। इस स्थिति में जांच अधिकारियों पर सवाल उठ सकते हैं, इसलिए आयकर विभाग हर हालत में असली मालिक की पहचान करने के प्रयासों में जुटा है।

आयकर विभाग की अगली कार्रवाई और पेनल्टी की संभावना

यदि सौरभ या चेतन में से किसी ने स्वीकार किया कि जब्त किया गया कैश और सोना उनका है, तो इसके आय के स्रोत को भी साबित करना होगा। इसके बाद आयकर विभाग 200 प्रतिशत पेनल्टी लगाएगा और ED केस भी बना सकता है। साथ ही, आयकर विभाग ब्याज और पेनल्टी की वसूली भी करेगा।