दमोह
दमोह जिले के रानी दुर्गावती सेंचुरी और सागर के नौरादेही अभयारण्य को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया, जिसे रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से पहचाना जाने लगा है। आज 20 सितंबर 2024 को प्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने का एक साल पूरा हुआ है। वर्तमान में यहां 20 बाघों की मौजूदगी की जानकारी है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में अपना डेरा जमाए हुए हैं। नए टाइगर रिजर्व के पहले मेहमान के रूप में शंभू और कजरी नामक बाघिन यहां लाई गई हैं। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से 20 सितंबर 2023 को टाइगर रिजर्व की मंजूरी मिली थी और इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था। यह प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व है, जिसमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले के करीब 141,400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को शामिल किया गया है, लेकिन अभी तक अधिकांश क्षेत्र हैंडओवर नहीं हुआ है।
कजरी और शंभू बने पहले मेहमान
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व को बने एक साल हो गया। पूरे साल में इस टाइगर रिजर्व ने कुछ खोया नहीं, बल्कि बढ़ोतरी के लिए इसमें मार्च महीने में बाघ शंभू और बाघिन कजरी का जोड़ा लाया गया था, जिसे टाइगर रिजर्व के डोगरगांव रेंज में छोड़ा गया था। शुरुआती समय में बाघिन कजरी की हरकतें देख ऐसा लग रहा था कि वह यहां रुकेगी नहीं, लेकिन अब वह बाघ शंभू के साथ अक्सर दिखाई देती है।
शावक को छोड़कर सभी मौजूद
टाइगर रिजर्व बनने के पूर्व नौरादेही अभयारण्य में 2018 के बाद से लगातार बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, बीच में यह बात सामने आई थी कि यहां से कुछ बाघ लापता हैं, लेकिन जांच के बाद यह पुष्टि हो गई कि राधा के नर शावक को छोड़कर बाकी सभी बाघ और उनके शावक पूरी तरह सुरक्षित हैं और उनकी लगातार टाइगर रिजर्व में लगे कैमरों में फोटो ट्रैप हो रही है। इनकी जानकारी पदमार्ग पर ट्रैक कैमरों की मदद से ही मिल पाती है, क्योंकि इनके गले में आईडी कालर आज तक नहीं डाला गया है।
बाघ पूरी तरह संरक्षित
नौरादेही के उप वनमंडल अधिकारी डेविड ने बताया कि कुछ क्षेत्र दूसरे जिलों से हैंडओवर होना है, जिसमें समय लग रहा है। नौरादेही में बाघ पूरी तरह संरक्षित हैं और सभी ने अपने अलग-अलग क्षेत्र चुन लिए हैं। आज 20 सितंबर को वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व का स्थापना दिवस है, जिसे पूरे हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
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