भोपाल
मध्यप्रदेश में बारिश का दौर थामने के बाद ठंड का असर बढ़ने लगा है। बुधवार रात कई शहरों में पारा काफी लुढ़क गया। इंदौर में सीजन की सबसे ठंडी रात रही। यहां पर न्यूनतम तापमान 12.1 डिग्री दर्ज किया गया। भोपाल में 13 डिग्री, ग्वालियर में 16.3 डिग्री, उज्जैन में 14.5 डिग्री और जबलपुर में 18.2 डिग्री दर्ज किया गया। राजगढ़ सबसे ठंडा रहा। यहां पारा 11 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार, इस सीजन में पहली पार तापमान में इतनी गिरावट देखने को मिली है। सभी शहरों में तापमान 20 डिग्री से कम ही रहा। पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होना भी इसकी एक वजह है। पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रही बर्फबारी का असर अब मध्य प्रदेश में भी दिखाई देने लगा है। गुरुवार रात प्रदेश के ज्यादातर शहरों में तापमान में तेज गिरावट दर्ज की गई।
सबसे ठंडा शहर राजगढ़ रहा, जहां पारा एक ही रात में दो डिग्री गिरकर 9 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इंदौर में भी मौसम ने रिकॉर्ड तोड़ ठंड दिखाई। मौसम विभाग के अनुसार, बीती रात शहर का न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। यह पिछले 10 वर्षों में नवंबर माह का सबसे कम तापमान है। साल 2017, 2020 और 2022 में पारा 11 डिग्री तक जरूर पहुंचा था, लेकिन इतना नीचे नहीं गया था। भोपाल में भी ठंड ने अपने तेवर दिखाए। राजधानी में तापमान 2 डिग्री तक गिरा और रात में न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बीते 10 साल में नवंबर में यह स्थिति केवल पांच बार देखने को मिली है, जबकि पचमढ़ी में रात का तापमान 17.4 डिग्री दर्ज किया गया। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि आने वाले पांच दिन तक प्रदेश में बारिश की कोई संभावना नहीं है। उत्तरी हवाओं के चलते ठंड और बढ़ेगी तथा रात के तापमान में गिरावट बनी रहेगी।
नमी की वजह से नहीं लुढ़का पारा
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बने सिस्टम के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से नमी आई। जिससे बादल छाए रहे। इस वजह से दिन का तापमान नहीं बढ़ सका।वर्तमान में हरियाणा के पास एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) बना हुआ है। इस वजह से यह प्रदेश में ठंडी हवा आने से रोक रहा है।अगले 24 में यह चक्रवात उत्तर भारत में सक्रिय वेस्टर्न डिस्टरबेंस में समाहित हो जाएगा। इसके बाद ही हमारे यहां ठंड का असर शुरू होगा।
रात में 20 डिग्री के नीचे पारा
बता दें कि पिछले 24 घंटे के दौरान श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, अशोकनगर, गुना, बैतूल, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर और छिंदवाड़ा जिलों में हल्की बारिश हुई। इसके साथ दिन के तापमान में भी गिरावट हुई। नरसिंहपुर में एक ही रात में पारा 5.4 डिग्री लुढ़ककर 17.2 डिग्री पर आ गया। छिंदवाड़ा-मंडला में 17.6 डिग्री, नौगांव में 15 डिग्री, रीवा में 15.8 डिग्री, सिवनी में 17.4 डिग्री, टीकमगढ़ में 16.8 डिग्री, उमरिया में 17.3 डिग्री, मलाजखंड में 16.7 डिग्री, भोपाल में 18.8 डिग्री, इंदौर में 18.2 डिग्री, उज्जैन में 18.3 डिग्री, ग्वालियर में 20.1 डिग्री, खंडवा-शिवपुरी में 17 डिग्री, खरगोन में 17.8 डिग्री, पचमढ़ी में 17.2 डिग्री रहा।इधर, बुधवार को दिन में पचमढ़ी सबसे ठंडा रहा। यहां अधिकतम तापमान 25.2 डिग्री रहा। रायसेन में 27 डिग्री, बैतूल में 26.7 डिग्री, श्योपुर में 29.6 डिग्री, छिंदवाड़ा-दमोह में 29.5 डिग्री, नरसिंहपुर में 29.6 डिग्री, सिवनी में 28 डिग्री, सीधी में 28.8 डिग्री, उमरिया में 29.9 डिग्री और मलाजखंड में पारा 26.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
रात के साथ दिन में भी ठंडक, पारा लुढ़का रात के अलावा दिन में भी ठंडक घुलने लगी है। गुरुवार को भोपाल में तापमान 28.4 डिग्री, इंदौर में 28.3 डिग्री, ग्वालियर में 28.6 डिग्री, उज्जैन में 29.5 डिग्री और जबलपुर में 30.7 डिग्री सेल्सियस रहा। दमोह, खजुराहो, मंडला, रीवा, सागर, सतना, उमरिया, नर्मदापुरम, खंडवा, खरगोन को छोड़ दें तो बाकी शहरों में पारा 30 डिग्री से कम ही दर्ज किया गया।
इसलिए बढ़ा ठंड का असर बता दें कि हिमालय के तीन राज्य जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल में बर्फबारी शुरू हो गई है। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में गुलमर्ग व्हाइट वंडरलैंड में बदल गया है। उत्तराखंड में बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम भी बर्फ से ढंक गए हैं।
हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों लाहौल और स्पीति और किन्नौर, कुल्लू में ताजा बर्फबारी हुई। इन पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी का असर मैदानी राज्यों में नजर आने लगा है। मध्य प्रदेश में पारे में 6.1° तक की गिरावट दर्ज की गई है। उत्तर से लगातार हवा आने से पारे में और भी गिरावट हो सकती है। मौसम विभाग का मानना है कि नवंबर में पहले ही दौर में तेज ठंड शुरू हो गई है, जो अब लगातार रहेगी।
उत्तरी हिस्से में दो सिस्टम एक्टिव मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरी हिस्से में एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस और एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन एक्टिव है। इनका असर तो प्रदेश में देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन चक्रवात जब वेस्टर्न डिस्टरबेंस में समाहित हो जाएगा तो ठंड का असर भी तेज होगा।
बता दें कि इस बार अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बने मौसमी सिस्टम के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से नमी आई। जिससे बादल छाए रहे। इस वजह से दिन का तापमान नहीं बढ़ सका। आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान में भी गिरावट देखने को मिल सकती है।
कोहरे का असर भी बढ़ेगा मौसम विभाग की मानें तो अब ठंड के साथ कोहरा भी बढ़ेगा। फिलहाल, देर रात और अलसुबह ठंड का असर ज्यादा है। वहीं सुबह हलका कोहरा भी है, जो आने वाले दिनों में बढ़ जाएगा। अभी मंडला में सबसे कम 1-2 किलोमीटर विजिबिलिटी मंडला में देखने को मिली है। जबलपुर, रीवा और सतना में यह 2 से 4 किलोमीटर रही।
नवंबर में तेज ठंड का ट्रेंड प्रदेश में नवंबर में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है।
वहीं, भोपाल में दिन ठंडे रहे। 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन रहा। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।
अक्टूबर में 121% बारिश ज्यादा, नवंबर में तेज ठंड का ट्रेंड
प्रदेश में नवंबर महीने में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है। वहीं, भोपाल में दिन ठंडे रहे। 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन रहा। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।
इंदौर में 10 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा बारिश
अक्टूबर में बारिश के रिकॉर्ड की बात करें तो दो साल बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी गिरा। भोपाल में 2.8 इंच, जबलपुर में 3.3 इंच, ग्वालियर में 4.2 इंच और उज्जैन में 2.1 इंच बारिश दर्ज की गई। साल 2022 में इससे ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, इंदौर में 3.4 इंच पानी गिरा। यहां 10 साल में दूसरी बार अक्टूबर में इतनी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाले जिले में श्योपुर नंबर-1 पर है। यहां 6.52 इंच, झाबुआ में 5.52 इंच, सिंगरौली में 5.35 इंच, सीधी में 5 इंच, उमरिया में 4.14 इंच, अनूपपुर में 4.82 इंच, बड़वानी में 4.21 इंच और भिंड में 4.36 इंच बारिश हो गई। प्रदेश का खंडवा ही एक मात्र ऐसा जिला रहा, जहां सामान्य से कम पानी गिरा। बाकी 53 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
इस बार मानसून भी बेहतर रहा
इस बार प्रदेश में मानसून की भी 'हैप्पी एंडिंग' रही। भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिले ऐसे रहे, जहां 'बहुत ज्यादा' बारिश दर्ज की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला गुना है। जहां पूरे सीजन 65.7 इंच पानी गिर गया, जबकि श्योपुर में 216.3% बारिश हुई। एक्सपर्ट की माने तो अच्छी बारिश होने से न सिर्फ पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी है। भू-जल स्तर भी बढ़ा रहेगा। हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला रहा, जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) ही बारिश हुई है।
अब जानिए नवंबर में कैसा रहेगा मौसम
मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड का असर बढ़ेगा। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।
झाबुआ में तीन दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान में 8.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को अधिकतम तापमान 29.4 और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री, बुधवार को अधिकतम 29.4 और न्यूनतम तापमान 21.4 (0.8 की गिरावट), गुरुवार को अधिकतम 29.0, न्यूनतम तापमान 16.4 (5.0 की गिरावट) और शुक्रवार को 30.2 और न्यूनतम तापमान 13.8 (2.6 की और गिरावट) दर्ज की गई।
जिले में बढ़ती ठंड को देखते हुए कलेक्टर नेहा मीना ने स्कूलों के समय में बदलाव किया है। इसके अनुसार, नर्सरी से कक्षा 3 तक की कक्षाएं सुबह 9 बजे से पहले और कक्षा 4 से कक्षा 12 तक की कक्षाएं सुबह 8 बजे से पहले नहीं लगेंगी। यह आदेश झाबुआ जिले की सभी शैक्षणिक संस्थाओं पर लागू होगा।
अब जानिए नवंबर में कैसा रहेगा मौसम मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में ठंड का असर बढ़ेगा। हुआ भी वैसा ही। पारे में खासी गिरावट देखने को मिल रही है। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।
उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।

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