जयपुर.
प्रदेश की भजनलाल सरकार पिछली गहलोत सरकार में गठित गांधी वाटिका ट्रस्ट खत्म करने जा रही है। इसके लिए आज विधानसभा में गांधी वाटिका न्यास अधिनियम 2023 को निरस्त करने के लिए सरकार गांधी वाटिका न्यास(निरसन) विधेयक 2024 सदन में पेश करेगी। इस विधेयक के पारित होते ही गहलोत सरकार में गठित गांधी वाटिका ट्रस्ट निरस्त हो जाएगा। यह इस सरकार का पहला निरसन विधेयक होगा।
ट्रस्ट के लिए विधानसभा में 22 अगस्त 2023 को विधेयक पारित करवाया गया था। इसमें ट्रस्ट का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाए जाने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा मुख्य सचिव, वित्त सचिव, जेडीसी, प्रभारी सचिव कला साहित्य, प्रभारी सचिव शांति एवं अहिंसा विभाग, राज्य सरकार द्वारा नामित गांधी वादी विचारक इसमें शामिल किए जाने का प्रावधान किया गया था। न्यास का प्रधान कार्यालय जयपुर में ही रखा गया।
नजदीकी लोगों को पहुंचाया फायदा
भाजपा ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गहलोत सरकार ने अपने नजदीकी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रस्ट में शामिल करवा लिया। इसमें दिल्ली के कुमार प्रशान्त को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सदस्यों के रूप में जयपुर से डी.आर. मेहता, जी.एस. बाफना, बी. एम. शर्मा, डॉ. निजाम, मनीष कुमार शर्मा, बांसवाड़ा से शांति और अहिंसा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक, अजमेर से गोपाल बाहेती, बनारस के सतीश राय, जोधपुर से आशा बोथरा और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश चन्द्र पण्डया और भारत दोसी को मनोनित किया किया गया था। इसी प्रकार से भरतपुर से ऋषभ कुमार शर्मा, अलवर के सवाई सिंह, झुंझुनू के धर्मवीर कटेवा, महाराष्ट्र के मनोज ठाकरे, भावेंद्र शरद जैन, भारत दौसी को मनोनित किया गया है।
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