कोलंबो
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव आगामी 21 सितंबर को होंगे। निर्वाचन आय़ोग ने यह घोषणा की।इसी के साथ देश में महीनों से जारी इन अटकलों पर विराम लग गया कि निर्वतमान राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल बढ़ाने के लिए चुनाव की तारीख आगे खिसका दी जाएगी।सरकारी गजट संख्या 2394/51 जारी की गई, जिसमें कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद-31 (3) के तहत मतदान 21 सितंबर को होगा, जबकि 15 अगस्त को नामांकन स्वीकार किए जाएंगे।
चुनाव की घोषणा से पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का शेष कार्यकाल समाप्त हो जाएगा, जिन्हें आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने पर 2022 के मध्य में इस्तीफा देना पड़ा था। नवंबर 2019 में जब पिछला राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, तब राजपक्षे ने लगभग सात लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
दरअसल, वर्ष 1948 के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 2022 की शुरुआत में लाखों लोग तत्कालीन राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
राजपक्षे को नौ जुलाई 2022 को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जिसके बाद संसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को उनका उत्तराधिकारी चुना था।विक्रमसिंघे ने श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज हासिल करने में सफलता पाई।
भारत ने भी 2022 की पहली तिमाही में श्रीलंका को चार अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की, जिससे आर्थिक संकट के बीच भोजन और आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भुगतान किया गया।
विक्रमसिंघे सुधारों को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं। उन्होंने श्रीलंका को दिवालियापन से बाहर निकालने का संकल्प लिया है। माना जा रहा है कि वह राष्ट्रपति पद पर बने रहने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे।
देश छोड़कर भाग गए थे राजपक्षे
नौ जुलाई 2022 में राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा, जिसके बाद निवर्तमान रानिल विक्रमसिंघे को राजपक्षे के उत्तराधिकारी के तौर पर संसद के माध्यम से चुना गया। विक्रमसिंघे ने आईएमएफ से बेल आउट की सुविधा का लाभ उठाकर देश को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान भारत ने भी श्रीलंका को आर्थिक तंगी से बाहर निकलने में मदद की। भारत ने 2022 की पहली तिमाही में श्रीलंका को 4 बिलियन डॉलर की जीवन रेखा प्रदान की, जिसका इस्तेमाल भोजन और आवश्यक वस्तुओं के आयात के भुगतान में किया गया।
अप्रैल के मध्य तक श्रीलंका ने कर्ज चुकाने से मना कर दिया था। एक साल बाद आईएमएफ के पास करीब तीन अरब डॉलर की पहली किस्त आई, जिसे चार वर्षों के लिए बढ़ाया जाना था। हालांकि, निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने के लिए देश में सुधारों को लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। वह एक बार फिर राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता में वापस आने की उम्मीद कर रहे हैं।
आर्थिक संकट में भारत ने श्रीलंका की किस तरह मदद की?
श्रीलंका को 2022 में अभूतपूर्व वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था और 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद देश के सामने आया सबसे बड़ा आर्थिक संकट था। विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण, देश में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई, जिसके कारण शक्तिशाली राजपक्षे परिवार को सत्ता से बाहर होना पड़ा।
जिसके बाद श्रीलंका ने अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया था। हालांकि, पिछले साल मार्च में IMF के साथ 2.9 अरब डॉलर का बेलऑउट पैकेज पर सहमति बनने के बाद श्रीलंका धीरे धीरे अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार कर रहा है और पेट्रोल और गैस को लेकर जो संकटपूर्ण हालात थे, वो अब खत्म हो चुके हैं।
हालांकि, अब हालात ये हैं, कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) कार्यक्रम के तहत लगाए गए हाई टैक्स, लंबे समय तक मुद्रास्फीति और स्थिर नौकरी बाजार के कारण एक चौथाई आबादी गरीबी में चली गई है।
राजपक्षे को 9 जुलाई 2022 को देशव्यापी प्रदर्शन के बाद देश से भागने पर मजबूर होना पड़ा।
ऐसे समय में भारत ने 2022 की पहली तिमाही में श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की जीवन रेखा प्रदान की, जिससे भुगतान संतुलन संकट में खाद्य और आवश्यक वस्तुओं के आयात का भुगतान किया गया। भारत से पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद के लिए श्रीलंका को 500 मिलियन डॉलर की नई लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) दी गई और खाद्य पदार्थों, दवाओं, ईंधन आदि सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 1 अरब डॉलर की क्रेडिट सुविधा मार्च 2022 में श्रीलंका को दी गई।
इसके अलावा, दवाओं की तीव्र कमी को पूरा करने के लिए अप्रैल-मई 2022 में पेराडेनिया विश्वविद्यालय अस्पताल, जाफना टीचिंग अस्पताल, हंबनटोटा जनरल अस्पताल और एम्बुलेंस सेवा '1990' को 26 टन से ज्यादा दवाएं और अन्य चिकित्सा आपूर्ति प्रदान की गई।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे आर्थिक संकट में देश को कितना निकाल पाए?
2.9 अरब डॉलर के IMF बेलआउट कार्यक्रम की मदद से, विक्रमसिंघे ने बिखरी हुई अर्थव्यवस्था को फिर से संभाला है और मुद्रास्फीति को सितंबर 2022 में 70 प्रतिशत से घटाकर जून में 1.7 प्रतिशत पर ला दिया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा, श्रीलंकन करेंसी को डॉलर के मुकाबले मजबूत किया है और पहले से खत्म हो चुके विदेशी मुद्रा भंडार को फिर से भरने की कोशिश की है।
पिछले साल 2.3 प्रतिशत और संकट के चरम के दौरान 7.3 प्रतिशत सिकुड़ने के बाद श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के 2024 में 3 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
जापान, चीन और भारत सहित द्विपक्षीय लेनदारों ने पिछले महीने 10 अरब डॉलर के ऋण पुनर्संरचना पर हस्ताक्षर किए, जिससे कोलंबो को चार साल के लिए पुनर्भुगतान स्थगित करने और 5 अरब डॉलर बचाने की राहत मिली है। हालांकि, श्रीलंका को अभी भी इस साल के अंत में होने वाली तीसरी IMF समीक्षा से पहले बॉन्डधारकों के साथ 12.5 अरब डॉलर के ऋण के पुनर्गठन पर प्रारंभिक समझौते पर अंतिम रूप देना है।
एक्सपर्ट्स का कहना है, कि श्रीलंका की रिकवरी अभी भी बहुत नाजुक है और सुधारों को तेजी से लागू करने के प्रयास एक नए संकट को जन्म दे सकते हैं। उनका कहना है, कि नई सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा, कि अर्थव्यवस्था को बदलने और इसे सकारात्मक रास्ते पर लाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ाया जाए और उन्हें पूरा किया जाए।
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