
नई दिल्ली
भारत और कनाडा के बीच करीब दो साल से चले आ रहे तनाव के बाद अब दोनों देशों ने रिश्तों को फिर से सामान्य करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। दोनों सरकारें अब एक नई व्यवस्था बनाने जा रही हैं जिसके तहत वे आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय अपराध और उग्रवादी गतिविधियों से जुड़ी खुफिया जानकारियां आपस में साझा करेंगी। यह समझौता दोनों देशों की जांच एजेंसियों और कानून प्रवर्तन विभागों को जोड़ेगा, ताकि सीमा पार के अपराधों और आतंकी गतिविधियों पर मिलकर काम किया जा सके। यह जानकारी उन अधिकारियों ने दी है जो इस वार्ता से जुड़े हैं लेकिन उन्होंने अपनी पहचान गोपनीय रखी क्योंकि बातचीत अभी पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हुई है।
इस समझौते में कनाडा की ओर से बाह्य न्यायिक हत्याओं की जांच पर भी जोर रहेगा, खासकर वर्ष 2023 में हुए हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से, जिसे कनाडा ने भारत से जोड़ा था। भारत ने इन आरोपों को 'बेतुका और निराधार' बताया था और कनाडा पर खालिस्तानी तत्वों को पनाह देने का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की आगामी G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात होनी है। इस बैठक को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक अहम मौका माना जा रहा है। हालांकि, 12 जून को एयर इंडिया विमान हादसे और ईरान-इजराइल संघर्ष के चलते पीएम मोदी की यात्रा योजना में बदलाव संभव है।
साल 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सरे, ब्रिटिश कोलंबिया में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए सार्वजनिक रूप से भारत को जिम्मेदार ठहराया था, जिससे रिश्तों में भारी दरार आई। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया, वीजा सेवाएं सीमित कर दीं और संपर्क न्यूनतम कर दिए थे।हालांकि, दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों ने आपसी सहयोग जारी रखा और अब दोनों सरकारें इसे औपचारिक रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। मार्क कार्नी द्वारा पीएम मोदी को G-7 सम्मेलन में आमंत्रित करना भी कनाडा की विदेश नीति में बदलाव और संबंधों में सुधार की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
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