सामूहिक विवाह सम्मेलन में मुस्लिम शिक्षक बने पुरोहित, दूल्हा-दुल्हन बिना फेरे लिए लौटे

श्योपुर

मध्यप्रदेश से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां श्योपुर जिले में अक्षय तृतीया पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत कन्याओं के विवाह कराए गए। इस दौरान जिला मुख्यालय पर आयोजित हुए सामूहिक विवाह समारोह में बड़ी सरकारी चूक नजर आई। जानकारी के अनुसार विवाह वेदी पर पुरोहित का काम 10 मुस्लिम शिक्षकों ने किया। ऐसे में इस सरकारी कार्यक्रम में कुछ जोड़े बिना फेरे लिए ही लौट गए। इन जोड़ों ने बाद में किसी दूसरे सम्मेलन में जाकर सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह किया।

अफसर बोले- सभी जोड़ों ने लिए फेरे

इस मामले को लेकर अफसरों का कहना है कि सम्मेलन में गायत्री परिवार से जुड़े लोगों ने सभी संस्कार पूरे करवाएं। मुस्लिम शिक्षकों की तो व्यवस्था के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार श्योपुर के सीईओ ने बताया कि मुस्लिम शिक्षकों को वेदी पर मंत्र नहीं पढ़े, वे तो सिर्फ व्यवस्था के लिए बैठे थे। शादी तो गायत्री परिवार के सदस्यों ने कराई। मेरी जानकारी के अनुसार तो सभी की शादी हुई है।

बिना फेरे के लौटे कुछ जोड़े

बता दें कि श्योपुर शहर के हैवी मशीनरी टीनशेड परिसर में बुधवार को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 231 जोड़ों का विवाह कराया गया था। सम्मेलन की जिम्मेदारी नगरपालिका और पंचायत की थी। इस दौरान सम्मेलन में 10 मुस्लिम शिक्षकों की ड्यूटी भी लगाई गई। आरोप है कि विवाद वेदी पर पुरोहित का काम 10 मुस्लिम शिक्षकों ने किया। ऐसे में सम्मेलन में कुछ जोड़े बिना फेरे लिए ही लौट गए।

इसलिए लगाई गई शिक्षकों की नियुक्ति

गौरतलब है कि विवाह सम्मेलन कराने की जिम्मेदारी गायत्री परिवार की थी। उनके द्वारा नियुक्त किए गए पुरोहितों ने ही मंत्र पढ़ें। इस दौरान कुछ जोड़ों के साथ गायत्री परिवार की ओर से बताई जाने वाली विधि पूरी कराने के लिए ड्यूटी पर लगाया गया। इसमें 10 मुस्लिम शिक्षक भी शामिल थे।