तेहरान.
इस्राइल-हमास के बीच जारी युद्ध के साथ इस्राइल-ईरान के बीच भी संघर्ष शुरू हो चुका है। दरअसल, हाल ही में सीरिया के ईरानी दूतावास में हमले के बाद से ही ईरान इस्राइल पर बौखलाया हुआ है। इस हमले के लिए ईरान ने इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया है। जवाबी कार्रवाई करने की धमकी देते हुए ईरान ने शनिवार को इस्राइल में दर्जनों ड्रोन भी दागे। हमले को देखते हुए अमेरिका इस्राइल के बचाव में सामने आया है। इसके बाद ईरान ने अमेरिका के समर्थन का विरोध किया है।
उसने अमेरिका को इस हमले से दूर रहने को कहा है। ईरान ने धमकी देते हुए कहा कि अगर इस्राइल ने एक और गलती की तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थाई मिशन ने कहा, "यूएन चार्टर के अनुच्छेद 51 के आधार पर, दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हुए हमले के जवाब में सैन्य कार्रवाई की गई थी। मामला अब खत्म समझा जा सकता है।" उन्होंने आगे कहा, "अगर इस्राइल ने एक और गलती की, तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। यह संघर्ष ईरान और इस्राइल के बीच है, अमेरिका को इससे दूर रहना चाहिए।" ईरान के स्थाई मिशन ने अपने बयान में कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने कर्तव्य में नाकाम रही। इससे इस्राइल को रेड लाइन और अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करने की अनुमति मिल गई।" हालांकि, इस्राइली सुरक्षा बलों ने शनिवार को ईरान की तरफ से दागे गए मिसाइलों को रोक दिया था। मीडिया के अनुसार, यरूशलम के आसमान में कई विभिन्न जगहों से मिसाइलें दागी गईं। इस दौरान ईरान की तरफ से दागे गए मिसाइलों और इस्राइल की तरफ से की गई कार्रवाई के बीच का अंतर बताना मुश्किल था। कम से कम 20-32 मिसाइलों को रोका गया।
इस्राइल की रक्षा करना हमारी प्रतिबद्धता: अमेरिका
इस्राइल के समर्थन में अमेरिका ने भी ईरान के कई ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराना जारी रखा। अमेरिका सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने कहा, इस्राइल की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को देखते हुए अमेरिकी बलों ने ईरानी मिसाइलों को मार गिराया। क्षेत्र में हमारे बल इस्राइल को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। ईरान की तरफ से किए गए ड्रोन हमलों पर इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "इस्राइल वर्षों से ईरान के सीधे हमले की तैयारी कर रहा है। हमारी रक्षात्मक प्रणालियां तैनात है और हम किसी भी हमले के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस्राइल एक मजबूत देश हैं और इस्राइली सुरक्षा बल (आईडीएफ) एक मजबूत बल है।" इसी के साथ नेतन्याहू ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य देशों के समर्थन की सराहना भी की।
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