अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र ने लंगड़ा शब्द को लेकर राहुल गांधी से मांगा स्पष्टीकरण

भोपाल
 लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भोपाल में दिए घोड़ा वाले बयान पर सियासत जारी है। अब इसकी कड़ी में अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र लोहिया ने राहुल गांधी से लंगड़ा शब्द को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। राहुल गांधी के बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र लोहिया ने सोशल मीडिया एक्स (X) पर पोस्ट किया है।

ये कहा था राहुल ने

“राहुल गांधी ने भोपाल में कहा था- दो तरह के घोड़ों की बात करता था- रेस और बारात….कांग्रेस बारात वाले घोड़े को रेस में डाल देती थी और रेस वाले को बारात में… अब तीसरी कैटेगरी भी जोड़ रहा हूं- लंगड़ा घोड़ा… हमें तय करना है कौन रेस का है, कौन बारात का और कौन लंगडा”

सतेंद्र लोहिया ने X पर लिखा- आदरणीय RahulGandhi जी को विनम्र निवेदन आप देश के राष्ट्रीय स्तर के सम्माननीय राजनेता हैं, और मैं व्यक्तिगत रूप से आपका लंबे समय से आदर करता आया हूं। मैं एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का पैरा स्विमर हूं साथ में दिव्यांग हूं, और इस देश का एक जिम्मेदार नागरिक भी हूं। हाल ही में भोपाल में दिए गए आपके एक सार्वजनिक वक्तव्य में आपने “लंगड़ा” शब्द का प्रयोग किया, जिसे सुनकर मन अत्यंत आहत हुआ। यह शब्द न केवल असंवेदनशील है, बल्कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार यह शब्दावली विलुप्त की जा चुकी है और कानूनी रूप से आपत्तिजनक मानी जाती है। यह अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित किया गया है, और इसके पीछे उद्देश्य यही था कि दिव्यांग जनों को समाज में सम्मान और गरिमा के साथ स्थान मिले।
मोदी ने “दिव्यांग” जैसा सकारात्मक शब्द दिया

माननीय प्रधानमंत्री narendramodi जी द्वारा हमें “दिव्यांग” जैसा सकारात्मक शब्द दिया गया, जो हमारी क्षमताओं को दर्शाता है, न कि हमारी चुनौतियों को। ऐसे में जब देश किसी भी पार्टी के राष्ट्रीय नेता से इस प्रकार का असंवेदनशील शब्द सुनने को मिलता है, तो यह केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरे दिव्यांग समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।मैं नहीं जानता कि आपने किस संदर्भ में यह शब्द कहा, लेकिन मैं निवेदन करता हूं कि आप इस विषय पर एक स्पष्टीकरण दें, और भविष्य में दिव्यांग जनों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए, इस प्रकार की भाषा के उपयोग से बचें।

उचित प्रतिक्रिया दें

हम दिव्यांग लोग भी इस देश के नागरिक हैं, हमारा भी आत्मसम्मान है, और हमारा भी प्रतिनिधित्व है। हम केवल सहानुभूति नहीं, समान अधिकार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। आपसे निवेदन है कि आप इस विषय को गंभीरता से लें और देश के करोड़ों दिव्यांग जनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उचित प्रतिक्रिया दें।