नागौर.
25 साल पहले उनके भाई आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे। तब से बहन हर साल अपने भाई प्रभुराम चोटिया की प्रतिमा को राखी बांधने आती है। हर साल भाई को रक्षा सूत्र बांधने के लिए इंदास गांव से आती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका भाई देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए है। जब भी कोई त्योहार आता है तो भाई की याद आती है।
हर वक्त उनका भाई प्रभुराम चोटिया उनकी यादों में जिंदा है। नागौर के इंदास गांव के मुख्य चौराहे पर एक पार्क के रूप में शहीद प्रभुराम चोटिया का स्मारक बनाया गया है। जहां उनकी खड़ी प्रतिमा लगी है। पास ही उच्च माध्यमिक स्कूल है, जिसका नाम शहीद के नाम पर किया गया है। देश सेवा और मातृभूमि की रक्षा के लिए नागौर के वीर जवानों ने अपने प्राणों तक की आहुति देने से कदम पीछे नहीं हटाए हैं। भारत माता के ऐसे ही बहादुर बेटे थे नायक प्रभुराम चोटिया, जिन्होंने करगिल युद्ध में दुश्मन की गोलाबारी की परवाह किए बिना तोलोलिंग की पहाड़ियों पर खड़ी चढ़ाई चढ़ी और सीने के दाहिने तरफ और पैर में गोली लगने के बावजूद आगे बढ़ते रहे। उन्होंने अपने हथगोले को दुश्मन के बंकर में फेंककर उसका बड़ा नुकसान किया और आगे बढ़कर दुश्मन के तीन-चार जवानों को मुठभेड़ में मार गिराया। इसी दौरान सीने पर गोली लगने के बाद अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। नायक प्रभुराम चोटिया और उनके साथियों के अदम्य साहस, वीरता और बलिदान का ही नतीजा है कि तोलोलिंग की पहाड़ियों पर एक बार फिर से तिरंगा लहराया। नागौर जिले के इंदास गांव के प्रभुराम चोटिया 18 ग्रेनेडियर्स में नायक के पद पर तैनात थे। करगिल युद्ध के समय उनकी डेल्टा कंपनी को मेजर राजेश सिंह अधिकारी के नेतृत्व में तोतोलिंग की पहाड़ियों पर बैठे दुश्मन को खदेड़ने की जिम्मेदारी मिली थी।
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