जयपुर
परी बिश्नोई के लिए आईएएस अधिकारी बनने की राह बिल्कुल भी आसान नहीं थी. हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर यूपीएससी की तैयारी के दौरान अपने भावनात्मक उतार-चढ़ाव के बारे में खुलकर बात की. 2017 में अपने पहले यूपीएससी अटेम्प्ट में असफलता का सामना करने से लेकर तनाव के कारण बढ़ते वजन से जूझने तक उनकी कहानी लाखों उम्मीदवारों के लिए प्रेरणादायक है.
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी एक लंबी और थका देने वाली प्रक्रिया होती है, जिसमें अक्सर उम्मीदवारों को भावनात्मक और शारीरिक रूप से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक कहानी है एक महिला IAS अधिकारी की, जिन्होंने अपनी पहली असफलता के बाद न सिर्फ भारी वजन बढ़ने की समस्या से लड़ाई लड़ी, बल्कि उसे हराकर अपने IAS बनने के सपने को भी पूरा किया। हम बात कर रहे हैं आईएएस परी बिश्नोई की।
पहली असफलता और वजन बढ़ने की चुनौती
UPSC की तैयारी कर रहे हर उम्मीदवार की तरह, इस अधिकारी ने भी पूरी लगन से अपना पहला प्रयास दिया था। लेकिन, जब उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली, तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका था। इस भावनात्मक तनाव और अनिश्चितता के दौर में, उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और इसका सीधा असर उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ा। देखते ही देखते उनका वजन 45 किलोग्राम तक बढ़ गया।
इस दौरान, वह अपनी पसंदीदा चीजें, जैसे बाहर जाना और लोगों से मिलना-जुलना भी बंद कर चुकी थीं। उन्हें लगा कि उनका सपना अधूरा रह गया है और शायद वह कभी IAS नहीं बन पाएंगी।
असफलता के बाद सफलता का स्वाद
हालांकि निराशा का यह दौर हमेशा के लिए नहीं रहा. जब परी को दो साल बाद यूपीएससी के इंटरव्यू का कॉल आया तो उसके अंदर कुछ बदल गया. उन्होंने तय किया कि इस बार उनकी लड़ाई सिर्फ रैंक या पद के लिए नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास और पहचान को फिर से हासिल करने के लिए है. नए दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने अपनी लाइफस्टाइल बदलने पर फोकस किया. लगातार एक्सरसाइज, वजन उठाकर, पौष्टिक खाना और ताजा भरपूर स्वस्छ आहार के साथ उन्होंने कठोर अनुशालन का पालन किया. उनके शारीरिक परिवर्तन ने उसके मानसिक विकास को भी प्रभावित किया और वह एनर्जेटिक महसूस करने लगीं.
गलतियों से सीखा सबक
परी ने अपनी पिछली तैयारी के दौरान की गई गलतियों के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले टॉपर्स की अपनाई गई रणनीतियों का विश्लेषण किए बिना कोचिंग क्लासेस को आंख मूंदकर फॉलो किया. उनके पास कोई निर्धारित टाइम टेबल नहीं था और कोई सब्जेक्ट स्पेसिफिक लक्ष्य नहीं थे और दृष्टिकोण में स्पष्टता का अभाव था. परीक्षा पैटर्न या पिछले पेपरों पर ध्यान देने के बजाय उन्होंने केवल वही पढ़ा जिसमें उनकी रुचि थी. इन गलतियों को उन्होंने सुधारा.
2019 में परी बिश्नोई ने आखिरकार 30वीं रैंक के साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली और अपने लंबे समय से देखे गए सपने को हकीकत में बदल लिया. उनकी शादी भाजपा नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल बिश्नोई के पोते भव्य बिश्नोई से हुई है. इस साल की शुरुआत में इस जोड़े ने अपनी बेटी वेदा का स्वागत किया. परी की कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्ची जीत कभी न गिरने में नहीं, बल्कि हर बार जब ज़िंदगी आपको गिराए, तब उठ खड़े होने में है.
आत्मविश्वास की वापसी और वजन घटाने का संकल्प
हालांकि एक दिन उन्हें महसूस हुआ कि अगर उन्हें अपने सपने को पूरा करना है, तो उन्हें सबसे पहले खुद पर विश्वास करना होगा और अपने शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करना होगा। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने सबसे पहले अपना बढ़ा हुआ वजन कम करने का फैसला किया।
इसके लिए उन्होंने कुछ सरल लेकिन प्रभावी कदम उठाए:
नियमित व्यायाम: उन्होंने हर दिन व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया। शुरू में यह मुश्किल था, लेकिन धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन गई।
स्वस्थ आहार : उन्होंने अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दिया। जंक फूड और अनहेल्दी भोजन से दूरी बनाकर संतुलित और पौष्टिक आहार लेना शुरू किया।
सकारात्मक सोच : उन्होंने नकारात्मक विचारों को दूर कर सकारात्मक सोच अपनाई। हर छोटे बदलाव और सफलता के लिए खुद को सराहा।
इन प्रयासों के दम पर उन्होंने न सिर्फ अपना 45 किलो वजन कम किया, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत महसूस करने लगीं।
IAS बनने का सपना हुआ साकार
वजन कम करने के बाद, उन्होंने एक नए आत्मविश्वास के साथ UPSC परीक्षा की तैयारी में खुद को फिर से झोंक दिया। इस बार उनकी रणनीति ज्यादा फोकस और अनुशासन वाली थी। उन्होंने पिछली गलतियों से सीखा और अपनी कमियों पर काम किया। आखिरकार, उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों से UPSC परीक्षा क्रैक कर IAS अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा किया।
यह कहानी उन सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है, जो असफलता और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह दिखाती है कि अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मुश्किल आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोक सकती, फिर चाहे वह वजन कम करना हो या देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करना।

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