
नई दिल्ली
वनतारा वन्यजीव अभयारण्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका के निपटारे को लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित एसआईटी द्वारा वनतारा प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को क्लीनचिट दिए जाने को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि काश 'सीलबंद लिफाफा' वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से सभी मामलों का निस्तारण कर लिया जाता। वनतारा से जुड़े मामलों की जांच कर रहे उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने गुजरात के जामनगर स्थित इस प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को ‘क्लीन चिट’ दे दी है।
इस रिपोर्ट को लेकर बेंच ने सोमवार को कहा था कि जानकारी मिली है कि वनतारा में जानवरों को रखने के लिए सभी नियमों का पालन किया गया। वहां लाए गए जानवरों के कानून के अनुसार ही खरीदा गया और उनका रखरखाव चल रहा है। ऐसे में किसी भी तरह का सवाल उठाना ठीक नहीं है। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों को लेकर संतोष व्यक्त किया है। पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'जब वह तय कर ले तो भारतीय न्यायिक प्रणाली सबसे तेज गति से चलती है, जबकि देरी उसकी पहचान बन गई है।'
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, '25 अगस्त, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र, वनतारा के मामलों की एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने का आदेश दिया। चार प्रतिष्ठित सदस्यों वाली एसआईटी को 12 सितंबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था।'
उन्होंने कहा, 'एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट 'सीलबंद लिफाफे' में पेश की। 15 सितंबर, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने इसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और 7 अगस्त, 2025 को दायर एक जनहित याचिका द्वारा शुरू किए गए मामले को बंद कर दिया।' रमेश ने कटाक्ष किया कि काश सभी मामलों को रहस्यमय 'सीलबंद लिफाफा' वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से और स्पष्ट रूप से निपटा दिया जाता।
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