वाराणसी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर का शिलान्यास हिमालय के संत स्वामी कृष्णाश्रम ने चार वर्ष की मनुहार के बाद किया था। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर बीएचयू परिसर में शिव मंदिर स्थापित करने के लिए महामना पं. मदन मोहन मालवीय के मन में विचार आया तो उनकी इच्छा थी कि इस मंदिर का शिलान्यास किसी सिद्ध संत के हाथों कराया जाए। मालवीय जी ने हिमालय में रहने वाले संत स्वामी कृष्णाश्रम के बारे में सुना था।
उन्होंने उन्हीं के हाथों मंदिर का शिलान्यास कराने का मन बना लिया। 1926 के आसपास स्वामी कृष्णाश्रम को काशी आने के लिए आमंत्रित किया गया तो वह कतई तैयार न थे। इसके बाद महामना ने स्वामी कृष्णाश्रम को मनाने के लिए स्वामी गणेश दास से निवेदन किया। उन्हें मनाने में चार साल लग गए। इतने मान मनव्वल के बाद स्वामी कृष्णाश्रम तैयार हुए और उन्होंने 11 मार्च 1931 को मंदिर का शिलान्यास किया।
मंदिर निर्माण में धन की कमी आड़े आई तो युगल किशोर बिड़ला ने मालवीय जी को आश्वस्त किया कि मंदिर निर्माण में धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। हालांकि महामना के जीवन काल में मंदिर निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया। श्री विश्वनाथ मंदिर के मानित व्यवस्था प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 1954 में शिखर को छोड़कर पूरा मंदिर बन गया था। 17 फरवरी 1958 को मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की गई।
शिखर का काम 1966 में पूर्ण हुआ। लगभग 250 फीट ऊंचा मंदिर का शिखर दुनिया का सबसे ऊंचा माना जाता है। मंदिर में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त गणेश, मां दुर्गा, लक्ष्मी-विष्णु, पंचमुखी महादेव, राम सीता और लक्ष्मण, हनुमान, सरस्वती मां, नटराज, नंदी आदि देवताओं की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं।
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