नई दिल्ली
स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू (एच1एन1) को लेकर एडवाइजरी जारी की है। मौसम में हो रहे बदलाव और बढ़ती उमस को देखते हुए यह एडवायजरी जारी की है। देश के कई शहरों में स्वाइन फ्लू के केस कन्फर्म हुए हैं। ऐसे में विभाग ने एहतियात के तौर पर एडवाइजरी जारी की हैं। हैल्थ विभाग की ओर से डेंगू की रोकथाम को लेकर भी घर-घर जाकर चैकिंग और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मानसून सीजन की शुरूआत से पहले ही विभाग ने टीम बना ली थी जो फील्ड में काम कर रही है। 120 के करीब कर्मी इसमें लगे हैं। हालांकि यह डेंगू का पिक सीजन नहीं है, लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही इस वक्त भारी पड़ सकती है।
बारिश हालांकि अभी ज्यादा नहीं हो रही। आने वाले दिनों में यह बढ़ेगी, जोकि मछरों के पैदा होने के लिए सही कंडीशन उन्हें देगी। विभाग की टीमें घर-घर जाकर चैकिंग कर रही हैं और लापरवाही को लेकर चालान काटने के लिए पांच टीम बनाई हैं। विभाग के पास 10 हाथ चलाने वाली फॉगिंग मशीन और 4 गाड़ी वाली फॉगिंग मशीन हैं जिसकी मदद ली जा रही हैं। एच1एच1 से ऐसे बचें के तरीके की बात करें तो छींकते समय टिश्यू पेपर से नाक को ढके और फिर उस पेपर से सावधानी से नष्ट कर दे।
हाथों को लगतार साबुन से धोते रहें। घर, ऑफिस के दरवाजों के हैडल, कीबोर्ड, मेज अदि साफ रखें। जुकाम के लक्षण दिखाई दें तो घर से बाहर ना जाएं और दूसरों के नजदीक ना जाएं। बुखार अगर आया हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहे। लगातार पानी पीते रहें। फेस मास्क जरूर पहनें। स्वाइन फ्लू के लक्षण यूं तो सामान्य जुकाम जैसे ही होते हैं, परंतु इसमें 100 डिग्री तक का बुखार आता है, भूख कम होजाती है और नाक से पानी बहता है।
कुछ लोगों को गले में जलन, उल्टी और डायरिया भी हो जाता है। डाक्टर्स की मानें तो यहलक्षण होने पर तुरंत अस्पताल में चैक कराएं, लेकिन टैस्ट डाक्टर के पर्रामश के बाद ही कराएं। स्वाइन फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क से फैलता है। जब कोई स्वाइन फ्लू का मरीज छींकता है तो उसके आसपास 3 दूर तक खडे, व्यक्तियों फीट की दूर के शरीर में इस स्वाइन फ्लू का वायरस प्रवेश कर जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपनेछींकते समय-नाक को हाथ से ढक लेता है तो फिर यदि वह जहां कहीं भी उस हाथ को लगाता है (दरवाजे, खिडकियां, मेज, कीबोर्ड आदि) वहां यह वायरस लग जाता है और फिर वहां से किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पर लगक र शरीर में प्रवेश हो जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह मौसम सीजनल फ्लू का होता है, जिसमें स्वाइन फ्लू, डेंगू मलेरिया, चिकनगुनिया समेत कई वेक्टर बोर्न डिजीज यानी पानी से होनी वाली बीमारियां का खतरा रहता है।

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