ई-टोकन से किसानों को घर बैठे खाद, लंबी कतारों से मिली राहत; जनवरी से प्रदेशभर में लागू

जबलपुर
 किसानों को रसायनिक खाद वितरण में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए कृषि विभाग ने लगातार अनेक उपाय किए पर सफलता नहीं मिली। वितरण केंद्रों में खाद पाने किसानों की कतार लंबी होती गई। स्थाई समाधान की दिशा में कार्य करते हुए शासन ने एक अक्टूबर 2025 से खाद वितरण की नई व्यवस्था ‘ई-टोकन’ का प्रयोग किया। इसके बेहतर परिणाम सामने आए। किसानों से प्राप्त फीडबैक के बाद यह व्यवस्था अब एक जनवरी 2026 से प्रदेशभर में लागू की जा रही है।

जबलपुर, विदिशा और शाजापुर जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई-टोकन व्यवस्था शुरू की गई थी। योजना का फायदा यह रहा कि खाद लेने के लिए किसानों को न तो कतार में खड़ा होना पड़ा, न ही दस्तावेज लेकर भटकने की जरूरत पड़ी। उन्होंने अपने मोबाइल या कंप्यूटर से ई-टोकन पोर्टल पर वांछित जानकारी दर्ज की, जिसके साथ ही तय मात्रा में खाद बुक हो गई। उसके बाद किसानों ने अपनी सुविधा के मुताबिक वितरण केंद्र से खाद प्राप्त कर ली।

विभाग ने खाद को घर तक पहुंचाने की वैकल्पिक सुविधा भी दी है। जबलपुर में तीन माह के भीतर 40 हजार से अधिक किसानों ने ई-टोकन के माध्यम से लगभग 20 हजार 770 टन खाद ली। रबी सीजन में लगभग 59 हजार से ज्यादा किसानों ने खाद लेने के लिए ई-टोकन प्रणाली में पंजीयन कराया है।
कतार से राहत, समय की भी बचत

ई-टोकन व्यवस्था से किसान तय तारीख और समय पर केंद्र पहुंचकर आसानी से खाद ले सकेंगे। इससे न समय की बचत होगी, बल्कि वितरण केंद्रों पर भीड़ और अव्यवस्था पर नियंत्रण लगेगा। ई-टोकन के साथ-साथ किसानों के घर तक खाद पहुंचाने की सुविधा भी शुरू की गई है, लेकिन यह व्यवस्था किसानों को खास पसंद नहीं आई। जबलपुर जिले में अब तक केवल तीन किसान ही घर-घर खाद वितरण योजना से जुड़े हैं। अधिकांश किसानों का मानना है कि केंद्र से सीधे खाद लेना अधिक सुविधाजनक और भरोसेमंद है।
आंकड़ों पर नजर

    01 अक्टूबर से जबलपुर सहित तीन जिलों में ई-टोकन की सुविधा शुरू हुई।
    18 दिसंबर तक जबलपुर में 40 हजार किसानों ने 20 हजार 770 टन खाद ली-
    59 हजार 732 किसानों ने रबी सीजन में ई-टोकन के जरिए खाद लेने पंजीयन कराया।
    03 माह के भीतर चार हजार से अधिक किसानों को ई-टोकन से खाद दी गई।

ऐसे ले सकते हैं ई पोर्टल से खाद

  •     ई-टोकन पोर्टल पर किसान पंजीयन कराना जरूरी है।
  •     इसके लिए ई-टोकन डट एमपीकृषि डाट ओआरजी ओपन करें।
  •     ट्रस्ट/पट्टा/अन्य कृषक का पंजीयन पर क्लिक करें।
  •     आधार नंबर दर्ज करें और आधार सत्यापन पर क्लिक करें।
  •     ओटीपी प्रविष्ट करें एवं आधार सत्यापित पर क्लिक करें।
  •     आधार सत्यापन के बाद स्वतः प्रदर्शित जानकारी दें।
  •     किसान का नाम, मोबाइल और आधार नंबर व पते की जानकारी दें।
  •     भूमि विवरण जोड़ने की प्रक्रिया में जाकर और कुल रकबा, सिंचित रकबा और खसरा नंबर दें।
  •     स्थान विवरण चयन कर जिला, विकासखंड, ग्राम की जानकारी दें।
  •     इसके बाद भूमि जोड़ें पर क्लिक करें।
  •     अंत में चेक बाक्स में क्लिक कर अनुमोदन को प्रेषित करें। यह डाटा राजस्व विभाग के पास चला जाएगा।

डा. एसके निगम, उप संचालक, कृषि ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई-टोकन की व्यवस्था जबलपुर समेत प्रदेश के तीन जिलों में लागू की गई थी। इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। किसानों से फीडबैक लेने के बाद अब इसे प्रदेशभर में एक जनवरी 2026 से लागू किया जा रहा है।