लखनऊ
यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को विधानसभा में आरोप लगाया कि 2017 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने अस्पतालों को तबेला बनाकर रख दिया था। पाठक ने कहा, प्रदेश में निजी चिकित्सकों का परामर्श शुल्क एवं विभिन्न चिकित्सकीय जांचों आदि का रेट निर्धारित कर एक समान करने और उनमें मनचाही वृद्धि रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई नीति नहीं लाई गयी थी। प्रदेश में 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व की सरकार थी।
राज्य सरकार में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री पाठक विधानसभा के प्रश्नकाल में सपा सदस्य समरपाल सिंह और अखिलेश के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। सपा सदस्य समरपाल सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गई है और सरकारी चिकित्सक अपने घरों पर मरीजों का इलाज कर उनसे पैसे ऐंठते हैं। उन्होंने अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव बताया। आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर क्षेत्र से सपा विधायक अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि मरीजों को अस्पतालों में सुविधा नहीं मिलती और निजी अस्पतालों में भारी शुल्क लिया जाता है।
अखिलेश ने अपने पूरक प्रश्न में पूछा कि क्या सरकार निजी अस्पतालों के एक समान शुल्क के लिए कोई नियम बनाएगी। ब्रजेश पाठक ने अखिलेश का जवाब देते हुए कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा जांच, उपचार और दवाएं मुफ्त दी जाती हैं। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और जिला अस्पतालों से लेकर उच्च स्तरीय सुविधा वाले सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं का ब्यौरा दिया। पाठक ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न चिकित्सालय में जन सामान्य को निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत आयुष्मान कार्ड धारकों को सरकारी एवं निजी चिकित्सालय में निर्धारित पैकेज के अनुसार पांच लाख रुपये की सीमा तक निशुल्क चिकित्सा दी जाती है तथा 70 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान वय वंदन योजना के अंतर्गत चिकित्सकीय लाभ प्रदान किया जाता है।

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