
लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग क्षेत्र में निजी निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए विभिन्न जिलों में वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया है. मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पारंपरिक हथकरघा और वस्त्र उत्पादों की समृद्ध धरोहर वाला राज्य है, जिसकी क्षमता का सही उपयोग होने पर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दिलाई जा सकती है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में वस्त्र एवं परिधान का वैश्विक बाजार वर्ष 2030 तक 2.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और भारत इसमें 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ते देशों में है. ऐसे परिदृश्य में उत्तर प्रदेश की भागीदारी इस क्षेत्र में निर्णायक सिद्ध हो सकती है.
प्रस्तावित योजना संत कबीर के नाम पर समर्पित
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित योजना को महान संत कबीर के नाम पर समर्पित किया जाएगा. संत कबीर ने अपने जीवन दर्शन में श्रम, सादगी और आत्मनिर्भरता को सर्वोपरि माना और यही भाव इस योजना का आधार बनेगा. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस योजना के माध्यम से निवेश, उत्पादन और रोजगार के नए अवसरों के साथ-साथ परंपरा और आधुनिकता का संतुलन स्थापित होगा. बैठक में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, वर्तमान में उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष वस्त्र एवं परिधान निर्यातक राज्यों में शामिल है. वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ, जो देश के कुल वस्त्र एवं परिधान निर्यात का लगभग 9.6 प्रतिशत है. इस क्षेत्र का प्रदेश की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत योगदान है, जबकि राज्य में प्रत्यक्ष रोजगार पाने वाले लगभग 22 लाख लोग इससे जुड़े हैं.
वाराणसी, मऊ, भदोही, मिर्जापुर, सीतापुर, बाराबंकी, गोरखपुर और मेरठ जैसे पारंपरिक क्लस्टरों ने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय परिधान मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. अधिकारियों ने बताया कि निवेश सारथी पोर्टल पर अब तक वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र से जुड़े 659 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. इन प्रस्तावों के लिए लगभग 1,642 एकड़ भूमि की आवश्यकता है.
लगभग 1,01,768 रोजगार के अवसर की संभावना
कुल निवेश मूल्य 15,431 करोड़ रुपये आंका गया है और इसके फलस्वरूप लगभग 1,01,768 रोजगार अवसर सृजित होने का अनुमान है. प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाएगा और इनमें प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना अनिवार्य होगी. साथ ही बटन, ज़िपर, लेबल, पैकेजिंग और वेयरहाउस जैसी सहायक इकाइयों के विकास की भी व्यवस्था की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निवेश प्रस्तावों को शीघ्र गति से क्रियान्वित करने हेतु भूमि की पहचान और विकास कार्य को तेज़ किया जाए. उन्होंने कहा कि योजना का क्रियान्वयन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल अथवा नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, ताकि निवेशकों को समयबद्ध और सुगम सुविधाएं प्राप्त हों. सरकार की ओर से पार्कों तक सड़क, विद्युत और जलापूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन को इस योजना का मुख्य लक्ष्य बताया. मुख्यमंत्री ने कहा कि संत कबीर वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना न केवल निवेश और रोजगार के नए द्वार खोलेगी बल्कि उत्तर प्रदेश को वैश्विक वस्त्र एवं परिधान मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान भी दिलाएगी.
बुनकरों के साथ संवाद स्थापित करने के निर्देश
बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री ने पॉवरलूम बुनकरों की उत्पादन लागत कम करने, आय बढ़ाने और परंपरागत वस्त्र उद्योग को नई मजबूती देने के उद्देश्य से बुनकरों के साथ संवाद करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बुनकर, परिश्रम और परंपरा के प्रतीक हैं. उनके हाथों से बना कपड़ा पूरे विश्व में पहचान रखता है.
सरकार बुनकरों की मेहनत का सम्मान करते हुए उन्हें सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है. बुनकरों से संवाद बनाकर उनकी अपेक्षाओं को जानने और समझने की आवश्यकता है. इस संबंध में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से विभाग द्वारा प्रक्रिया प्रारंभ की जाए. मुख्यमंत्री ने पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए आवश्यक कार्यवाही के भी निर्देश दिए.
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