महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में जारी विधानसभा चुनाव के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रजाकारों के हमले में अपनी मां और बहन की हुई दुखद मौत पर जानबूझकर चुप्पी साध रखी है। योगी का दावा है कि मुस्लिम वोट खोने के डर से खरगे इस मामले पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। योगी के बयान के बाद सियासी हंगामा खड़ा हो गया है। आइए इस घटना के बारे में जानते हैं कि आखिर क्या हुआ था।
साल 1946 में हैदराबाद के वर्वट्टी (अब कर्नाटक में है) में हैदराबाद के निजाम के कुछ सैनिक (रजाकर) घरों में आग लगा देते हैं। यह घर कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का था। उस समय वह महज तीन साल के थे। घर में खरगे अपनी मां और बहन के साथ थे। उनके पिता खेत में काम कर रहे थे। इस घटना में खरगे की मां और बहन की जलकर मौत हो गई थी। इस घटना का खुलासा आज से करीब 2 साल पहले उनके बेटे प्रियांक खरगे ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान किया था। उन्होंने यह भी बताया कि इस हादसे में कैसे उनके पिता और दादा मपन्ना की जान बची।
प्रियांक ने कहा कि निजाम के रजाकारों ने पूरे इलाके में तोड़फोड़ की और लूटपाट मचाया। इस दौरान उन्होंने घरों पर हमला किया। प्रियांक के मुताबिक, जिस समय हमला हुआ उस समय उनके दादा खेतों में काम कर रहे थे। उनके एक पड़ोसी ने बताया कि रजाकारों ने उनके घर में आग लगा दी है। इतना सुनते ही वह घर की तरफ भागे। वह सिर्फ मल्लिकार्जुन खरगे को बचा सके। उनकी पत्नी और बेटी की जलकर मौत गई। खरगे के पिता उन्हें लेकर जंगल की तरफ भाग गए।
खरगे के मौसेरे भाई कल्याणी कांबले ने भी कुछ समय पहले इस घटना के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि रजाकारों के कारण जब उनकी मां की मौत हो गई तो वह पिता मपन्ना के साथ पैदल निम्बुर के लिए निकल गए। वह करीब तीन महीने तक जंगल में भटकते रहे। इसके बाद वह अपने एक रिश्तेदार के घर पहुंचे।
क्या कहा है योगी ने?
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे ने व्यक्तिगत क्षति उठाने के बाद भी हैदराबाद के निजाम के शासन में रजाकारों के इतिहास को आसानी से भुला दिया। उन्होंने दावा किया, ‘‘मल्लिकार्जुन खरगे के गांव में रजाकारों ने आग लगा दी थी तथा उनकी मां, बहन और एक रिश्तेदार उस हमले में मारी गयी थीं।’’ योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि खरगे इस तथ्य को दबा रहे हैं क्येांकि उन्हें डर है कि यदि उन्होंने निजाम की सेना द्वारा किये गये अत्याचारों के बारे में बोला तो वह मुस्लिम वोट गंवा बैठेंगे। उन्होंने कहा , ‘‘कांग्रेस इतिहास को नकारने की कोशिश कर रही है और खरगे ने वोट बैंक की राजनीति के लिए अपने परिवार के साथ जो कुछ हुआ था उसे आसानी से भुला दिया है।’’
रजाकार एक अर्धसैनिक बल था जो हैदराबाद की पूर्ववर्ती रियासत में सेवारत था। उसका प्राथमिक उद्देश्य हैदराबाद के मुस्लिम निजामों के शासन को बनाये रखना और हैदराबाद को भारत में विलय होने से रोकना था।
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