रायपुर।
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का चुनाव आखिरकार संपन्न हो गया. बिना किसी ठोस मुद्दे के लड़े गए इस चुनाव में क्षेत्र के 2 लाख 73 हजार मतदाताओं में से 51 फीसदी मतदान के हिसाब से 1 लाख 25 हजार से ज्यादा लोग मतदान करने ही नहीं गए. मतदाताओं की इस बेरुखी का परिणाम क्या होगा, अब इस बात का आंकलन करने में विश्लेषक जुटे हैं.
2023 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार करीब 10 प्रतिशत कम मतदान हुआ है. 2023 के विधानसभा चुनाव में रायपुर दक्षिण में 60.20 प्रतिशत मतदान हुआ था. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में 61.70 प्रतिशत मतदान हुआ था. इन चुनावों में महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा उत्साह दिखाया था. उप चुनाव के दौरान विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से 25 हजार ज्यादा होने की वजह से अनुमान जताया जा रहा है कि इस बार भी महिलाएं बड़ी तादात में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी. लेकिन महिलाओं की सशक्त भागीदारी देखने को नहीं मिली, वहीं पुरुषों या फर्स्ट टाइम वोटर ने भी वोट देने में इसलिए रुचि नहीं दिखाई. जानकार मानते हैं कि मतदाताओं के बूथ तक नहीं पहुंचने के पीछे एक बड़ी वजह इस चुनाव का विधानसभा की तस्वीर में नहीं पड़ने वाला असर है. इस चुनाव की वजह से न तो भाजपा सत्ता से जा रही है, और न ही कांग्रेस फिर से सत्ता में वापसी कर रही है. इसके अलावा जानकार मानते हैं कि प्रत्याशी भी मतदाताओं के बीच उत्साह पैदा करने में नाकामयाब रहे. वहीं पार्टियां भी ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठा पाईं, जिससे मतदाता मतदाता मतदान केंद्रों में जाने के लिए उतावले हों. जानकार मानते हैं कि भले ही इस परिणाम की विधानसभा की तस्वीर बदलने में कोई अहम भूमिका न हो, मुद्दा विहिन प्रत्याशी और पार्टियों के बीच मतगणना जरूर रुचि पैदा करेंगे. कम वोटिंग की वजह से मतों का अंतर भी कम रहेगा, और यदि यह आंकड़ा हजार से घटकर सैकड़ा तक पहुंच गया तो फिर नया तूफान खड़ा हो जाएगा. खैर, परिणाम जो भी भाजपा और कांग्रेस के लिए एक-दूसरे पर हमला करने के लिए नया मुद्दा जरूर मिल जाएगा.

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