नई दिल्ली
पाकिस्तान में चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) नोटिफिकेशन की देरी ने सियासी हलचल तेज कर दी है. पाकिस्तान में सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PMLN) सूत्रों के मुताबिक यह देरी सिर्फ तकनीकी मामला नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे बड़ी सौदेबाजी चल रही है. दावा है कि नवाज शरीफ अगली बार भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने सेना प्रमुख असिम मुनीर के सामने सीधे डील रखी है. सूत्रों का कहना है कि नवाज शरीफ और मरियम नवाज ने असिम मुनीर के CDF और COAS दोनों पदों पर पांच साल का कार्यकाल मंजूर करने के बदले में अपनी शर्तें रखीं.
PMLN की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया कि अगर असिम मुनीर को पांच साल का टेन्योर चाहिए, तो उन्हें नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करनी होगी. इसी वजह से CDF नोटिफिकेशन को रोककर मोलभाव किया जा रहा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि यह पूरा सत्ता-संतुलन अगस्त के आखिरी हफ्ते में हुए मरी प्लान का हिस्सा है. इस मीटिंग में नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, असिम मुनीर, मरियम नवाज, असीम मलिक और मोहसिन नकवी शामिल थे. मीटिंग में दस साल के एक नए संयुक्त सत्ता ढांचे पर सहमति बनी थी. PMLN का कहना है कि उन्होंने अपनी तरफ से वादा पूरा कर दिया, यानी असिम मुनीर के लिए पांच साल का रास्ता खोल दिया. अब बारी सेना प्रमुख की है कि वे मरी प्लान के मुताबिक नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाएं.
शरीफ खानदान की क्या है डिमांड?
इसी के साथ नवाज शरीफ और मरियम नवाज सेना से भविष्य की सुरक्षित गारंटियां भी मांग रहे हैं. मरियम नवाज के एक करीबी साथी के अनुसार शरीफ परिवार चाहता है कि आने वाले वर्षों के लिए भी उनका राजनीतिक स्पेस सुरक्षित किया जाए. टॉप सूत्रों का दावा है कि नवाज शरीफ ने फौज में कुछ अहम प्रमोशन और पोस्टिंग को भी अपनी कंसल्टेंसी और सहमति के साथ मंजूर किए जाने की मांग रखी है. दावा है कि लेफ्टिनेंट जनरल नौमान जकारिया को वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया जाए और लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक को कमांडर NSC की जिम्मेदारी दी जाए. इसके अलावा कुछ अन्य मेजर और लेफ्टिनेंट स्तर के अधिकारियों को भी अहम पदों पर लगाने की मांग की गई है.
CDF नोटिफिकेशन का क्या है विवाद?
इस बीच पाकिस्तान की राजनीति में एक और सवाल उठ रहा है. क्या शहबाज शरीफ खुद अटकाव की वजह हैं? CDF का नोटिफिकेशन अभी तक जारी नहीं किया गया है, जबकि असिम मुनीर का कार्यकाल 29 नवंबर को बढ़ना था. शहबाज लंदन यात्रा पर थे और स्वास्थ्य कारणों से उनकी वापसी में देरी हुई, जिससे कई नई चर्चाओं को हवा मिली. कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि शहबाज शरीफ जानबूझकर दूरी बनाए हुए थे, ताकि असिम मुनीर को पांच साल का कार्यकाल और CDF का पद देने में अपनी राजनीतिक जोखिम को कम कर सकें. उनके साइन का इंतजार होने की वजह से पाकिस्तान में एक तरह का संवैधानिक खालीपन भी बन गया है.

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