नई दिल्ली
अखिलेश यादव ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अतीक अहमद के पुलिस सुरक्षा में मारे जाने का सवाल उठाया तो मस्जिद, मंदिर और जाति जनगणना के मुद्दों पर भी बात की। अखिलेश यादव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और दैहिक स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। यह मौलिक अधिकार है, लेकिन उत्तर प्रदेश में तो यही छीना जा रहा है। फर्जी मुठभेड़ों में कत्ल हो रहा है और पुलिस की अभिरक्षा में लोग मारे जा रहे हैं। यूपी में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए। यूपी में हर दिन ऐसा हो रहा है। टीवी पर चलते हुए जान ले ली गई। हमारा प्रदेश हिरासत में मौतों के मामले में सबसे आगे जा रहा है।
यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि ईडी का ऐसा कानून है कि बिना किसी नोटिस के ही लोग गिरफ्तार हो रहे हैं। इसके अलावा जाति जनगणना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यदि जाति जनगणना कराना चाहें तो करा लें। मैं तो कहता हूं कि आप चाहें तो करा लें, वरना हमें जब भी मौका मिलेगा तो हम कराएंगे। आउटसोर्सिंग से नौकरियां दी जा रही हैं। आरक्षण खत्म हो रहा है। कुलपति और प्रोफेसर नियुक्त करने में NFS लिख दिया जाता है यानी कोई उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिला। यदि सारे वीसी, प्रोफेसर की सूची जारी कर दी जाए तो बात साफ हो जाएगी कि 10 फीसदी लोगों का ही ख्याल रखा जा रहा है। 90 फीसदी लोगों की कोई चिंता नहीं हो रही है। जाति जनगणना से भेदभाव नहीं बढ़ेगा बल्कि जातियों के बीच दूरियां कम होंगी। ऐसे लोगों को न्याय और सम्मान मिलेगा, जो अब तक इससे वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि देश में 2014 के बाद से असमानता तेजी से बढ़ी है। 140 करोड़ लोगों में से 82 करोड़ तो सरकारी राशन से जिंदा हैं। सरकार कहती है कि हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है तो मेरा सवाल है कि कैसे 82 करोड़ सरकारी राशन पर जिंदा हैं और कैसे कुछ लोगों के पास इतनी बड़ी दौलत है। यदि आपकी अर्थव्यवस्था ऊंचाई पर जा रही है तो हमारे जो 60 फीसदी गरीब लोग हैं, उनकी प्रति व्यक्ति क्या है। इसके आंकड़े भी तो सरकार को देने चाहिए। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि 5 फीसदी लोगों के पास कितनी कमाई है। राज्य की निगाह में सभी धर्म समान हैं।
हमारा सेकुलरिज्म समानता की बात करता है, लेकिन क्या सरकार इस पर अमल कर रही है। देश के 20 करोड़ से ज्यादा अल्पसंख्यकों और खासतौर पर मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है। उनके घर तोड़े जा रहे हैं और हत्याएं की जा रही हैं। प्रशासन की मदद से उनके धर्मस्थलों को कब्जा किया जा रहा है। हमने देखा है कि यूपी में इस तरह की घटनाएं जानबूझकर की गईं। मुझे याद है कि जब उत्तर प्रदेश में चुनाव चल रहा था को बहुत से लोगों को वोट के अधिकार से रोका गया। ऐसे इंतजाम किए गए थे कि लोग वोट डालने के लिए बूथ तक न पहुंच जाएं। पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे यूपी में एक अधिकारी पिस्तौल दिखाकर महिलाओं को वोट डालने से रोकता है। क्या यही लोकतांत्रिक गणराज्य है।
अखिलेश यादव ने कहा कि हिटलर ने भी तो लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने के बाद संविधान बदला था और तानाशाही लागू कर दी थी। संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक न्याय दिलाने की बात है। लेकिन ऐसा क्या है। आर्थिक न्याय के बिना कुछ भी संभव नहीं है। धन्नासेठों की सरकार बड़े पैमाने पर पैसे खर्च करके सत्ता में आ जाती है। इससे राजनीतिक न्याय भी छिन जा रहा है। आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ देशद्रोह है। आज उपासना में भी दिक्कत है क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजा जा रहा है। आज एक ही कानून कुछ लोगों के लिए अलग है। यदि सत्ता पक्ष का आदमी गेरूआ गमछा पहनकर गाली दे तो जी हुजूरी। दूसरा व्यक्ति न्याय मांगने जाए तो लाठी मिलती है।
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