
नई दिल्ली
हालांकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पड़े मतों से तुलना करें तो भाजपा को नुकसान हुआ है। भाजपा को तब कुल 70 में से 65 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गठबंधन के चलते भाजपा की जीत का अंतर इस बार कम हुआ है।
मंत्री आतिशी, भारद्वाज और गहलोत अपनी सीट नहीं जिता पाए चुनाव आयोग ने बुधवार को दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर पड़े मतों के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के मुताबिक, इस बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा दो अन्य मंत्री गोपाल राय (अपनी बाबरपुर सीट) इमरान हुसैन (अपनी बल्लीमारान सीट) पर लोकसभा उम्मीदवार को बढ़त दिला पाए।
वहीं, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी की कालकाजी, सौरभ भारद्वाज की ग्रेटर कैलाश और कैलाश गहलोत अपनी नजफगढ़ सीट बचाने में नाकाम रहे। यही नहीं, बुराड़ी विधानसभा जहां आम आदमी पार्टी रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करती आई है, उस सीट पर भी भाजपा ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार से दोगुना मत हासिल किए।
दलित सीटों पर भी भाजपा का कब्जा
दिल्ली में कुल 13 आरक्षित विधानसभा हैं। भाजपा ने 10 आरक्षित विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने दलित बाहुल्य सीटों को अपने पाले में करने के लिए इस बार पूर्वी दिल्ली की सामान्य सीट पर दलित चेहरे कुलदीप कुमार को मैदान में उतारा था। आम आदमी पार्टी को उसका फायदा भी नहीं मिला। आप पूर्वी दिल्ली की दोनों आरक्षित सीट कोंडली और त्रिलोकपुरी हार गई।
मुस्लिम-सिख बहुल सीटों पर गठबंधन आगे
दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर इस बार इंडिया गठबंधन आगे रहा। सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्ताफाबाद, ओखला, मटियामहल, बल्लीमरान सीट पर गठबंधन ने कब्जा किया। यही नहीं, भाजपा को सिख बहुल सीटों जैसे राजौरी गार्डन, तिलक नगर, जंगपुरा और चांदनी चौक विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
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