नैनीताल
नैनीताल की खूबसूरत नैनी झील, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है, इन दिनों जलस्तर में भारी गिरावट की वजह से सुर्खियों में है। 2019 से 2024 के बीच झील का जलस्तर करीब 15 से 18 फीट तक गिर चुका है, जो पर्यावरणविदों और स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
अभी गर्मी का मौसम पूरी तरह शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन झील का जलस्तर 4.7 फीट तक गिर चुका है, जो पिछले पांच सालों में सबसे कम है। हर दिन इसमें 0.5 इंच की गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे आने वाले समय में जल संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
इस बार नैनीताल में औसत से बहुत कम बारिश और बर्फबारी हुई है। अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक वर्षा और बर्फबारी में करीब 90% की गिरावट दर्ज की गई है। इसके कारण झील को रिचार्ज करने वाले प्राकृतिक जल स्रोत भी सूख चुके हैं। नैनी झील के किनारे सीसी सड़कें और कंक्रीट निर्माण बढ़ने से जल सोखने की जगहें खत्म हो रही हैं। इससे बारिश का पानी झील तक नहीं पहुंच पा रहा, जिससे जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है।
जलस्तर घटने से नैनीताल जल संस्थान को पेयजल सप्लाई के लिए रोस्टर प्रणाली लागू करनी पड़ी है। मार्च से शहर में सिर्फ सुबह और शाम 2.5-2.5 घंटे पानी दिया जा रहा है।
पर्यटन सीजन में बढ़ सकती है परेशानी
गर्मी के मौसम में नैनीताल में भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, जिससे पानी की मांग बढ़ जाती है। होटल और स्थानीय लोगों के लिए पानी की उपलब्धता चुनौती बन सकती है। जलस्तर गिरने से झील के किनारों पर डेल्टा बनने लगे हैं और झील की साफ-सफाई भी प्रभावित हो रही है। जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, झील की सुंदरता भी घट रही है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डी डी सती के अनुसार, अगर जलस्तर में गिरावट जारी रही तो 15 अप्रैल से जल संस्थान को 8 एमएलडी से अधिक पानी छोड़ने पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है।
बारिश पर टिकी हैं उम्मीदें
जलस्तर को बनाए रखने के लिए बारिश ही मुख्य स्रोत है। उम्मीद की जा रही है कि गर्मियों की बारिश से स्थिति में सुधार होगा। प्रशासन झील की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। नैनी झील, जो नैनीताल की पहचान है, पर्यावरणीय संकट से जूझ रही है। स्थानीय लोग, होटल व्यवसायी और प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए समाधान की तलाश कर रहे हैं, ताकि आने वाले समय में पानी की किल्लत न हो।

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