टोक्यो.
कोरोनाकाल शुरू होने के बाद से ही अमेरिका और चीन के बीच तनातनी धीरे-धीरे बढ़ने लगी। दोनों देश कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ चुके हैं। साउथ चाइना सी को लेकर चीन के रवैये से भी अमेरिका जैसे पश्चिमी देश उससे खुश नहीं हैं। ऐसे में चीन को 'राइट टाइम' करने के लिए अमेरिका बड़ा कदम उठाने जा रहा है। दरअसल, अमेरिकी मिलिट्री ने इंडो-पैसिफिक रीजन में मिडियम रेंज की मिसाइलों को तैनात करने का फैसला लिया है।
अमेरिकी आर्मी पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स फ्लिन ने पिछले दिनों टोक्यो के अपने दौरे के दौरान दिए गए एक इंटरव्यू में भी यह जानकारी दी है।
अमेरिकी सेना के फ्लिन ने जापान में अमेरिकी दूतावास में कहा, "क्षेत्र में अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ काम करते हुए और हमारे पास मौजूद विभिन्न संयुक्त अभ्यासों के साथ मिलकर काम करते हुए मिसाइलों को जल्द ही क्षेत्र में पेश किया जाएगा।'' अमेरिका के इस कदम के पीछे माना जा रहा है कि वह चीन के खिलाफ अपने आप को और मजबूत करना चाहता है। ऐसे में चीन के किसी भी संभावित कदम का जवाब देने के लिए अमेरिका मिसाइलों को तैनात करने जा रहा। चीन की मिसाइल क्षमताओं के आधुनिकीकरण के बारे में फ्लिन ने कहा कि इसका मुकाबला करने के तरीके खोजना सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिकी सरकार के एक सूत्र ने कहा कि सिस्टम संभवतः गुआम में स्थित होगा और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए अस्थायी रूप से जापान में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि, अमेरिका किस तरह की मिसाइलों को तैनात करेगा, इसका तो फ्लिन ने जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा जा रहा है कि यह टाइफॉन मिसाइल सिस्टम हो सकता है। यह जमीन आधारित वाहनों से टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों और एसएम -6 मल्टी-मिशन एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है।
बता दें कि अमेरिका को पहले 2019 तक 500 किलोमीटर से 5,500 किलोमीटर की दूरी तक जमीन से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें रखने से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब रूस के साथ इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल संधि समाप्त हो गई थी। वहीं, दूसरी ओर चीन लगातार जमीन से लॉन्च की जाने वाली मिडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को हासिल करके अपनी सेना को मजबूत बना रहा है। यह मिसाइलें नानसेई द्वीप और ताइवान तक पहुंच सकती हैं।
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