नई दिल्ली
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कल यानी 1 जुलाई 2024 से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दरअसल CJI चंद्रचूड़ दिल्ली में कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में तीन न्यायालय भवनों के निर्माण के शिलान्यास समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान उनसे नए अधिनियमों से संबंधित एक प्रश्न पूछा गया जिस पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि इन कानूनों से संबंधित मुद्दे शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं, इसलिए वह इनके बारे में नहीं बोलेंगे। सीजेआई ने कहा, "ये ऐसे मुद्दे हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं, और संभवतः अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष भी लंबित हैं। इसलिए, मुझे न्यायालय के समक्ष आने वाली किसी भी बात पर बोलना नहीं चाहिए।"
नए आपराधिक कानून सोमवार से देशभर में लागू हो गए। इसी के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आ चुका है और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और ‘इंडियन एविडेंस एक्ट’ की जगह ली है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें इन आपराधिक कानूनों की व्यवहार्यता का आकलन करने और उनकी पहचान करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश जारी करने की मांग की गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि ये कानून अभी लागू नहीं हैं। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली एक और जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका को लापरवाही से तैयार किया गया था।

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