ओडिशा का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? PM के शपथ ग्रहण के बाद होगा ऐलान; इन नामों की चर्चा

भुवनेश्वर

नरेंद्र मोदी के तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो सकती है। ओडिशा भाजपा प्रमुख मनमोहन सामल ने यह जानकारी दी। सामल ने कहा कि भाजपा का संसदीय दल अपनी बैठक में मुख्यमंत्री का चयन करेगा, उन्होंने कहा कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री के बारे में उन्हें फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। सामल ने कहा कि ओडिशा भाजपा के अध्यक्ष के रूप में वे शपथ ग्रहण समारोह की व्यवस्था करने में सभी हितधारकों के साथ समन्वय कर रहे हैं।

बीजेपी ने 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में से 78 सीट जीतकर चुनावों में बहुमत हासिल किया। बीजेपी नेता ने कहा, ‘मैं एनडीए के संसदीय दल के नेता के चयन के लिए एक बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली गया था। राज्य के सभी नवनिर्वाचित सांसद वहां मौजूद थे। हम दिल्ली में आयोजित अन्य पार्टी कार्यक्रमों में भी शामिल हुए। बीजेपी ने ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर जीत हासिल की है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 जून को ही ओडिशा की भी नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है। फिलहाल शपथ ग्रहण की तैयारियां राजभवन में चल रही हैं। इस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी भी हिस्सा ले सकते हैं। इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई भी समारोह में शिरकत कर सकते हैं।

सीएम पद के लिए इन नामों पर चर्चा
ओडिशा में बीते 24 साल से बीजू जनता दल की ही सरकार थी। अब बीजेपी बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने जा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में जिन नामों का जिक्र किया जा रहा है उनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांड्या, भुवनेश्वर से सांसद अपराजिता सारंगी और बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी के अलावा जुएल ओराम का नाम शामिल है।

समीकरण यह भी है कि बीजेपी नहीं चाहती कि कोई भी सांसद मुख्यमंत्री बने। केंद्र में इस बार गठबंधन की सरकार है। ऐसे में सांसदों की संख्या बहुत मायने रखती है। ऐसे में धर्मेंद्र प्रधान और जुएल ओराम का नाम पीछे हो जाता है। 1985 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू का भी नाम लिया जा रहा है। वह गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार में उनके प्रधान सचिव थे। 2002 में गुजरात के दंगों के वक्त भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी।