खंडवा
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित ‘जल संचय जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0)’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खंडवा जिले को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला था। खंडवा के कलेक्टर और जिला पंचायत के सीईओ राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड लेने दिल्ली गए थे। दो करोड़ रुपए की इनाम राशि जिले को मिला था। अब एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस इनाम के लिए फर्जीवाड़ा हुआ है। काम दिखाने के लिए एआई की तस्वीरें अपलोड की गईं। इन आरोपों पर खंडवा कलेक्टर और जिला पंचायत के सीईओ ने सच बताया है। साथ ही मीडिया की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
छवि धूमिल करने की है कोशिश
खंडवा जिला प्रशासन ने आधिकारिक रूप से उस रिपोर्ट को भ्रामक, तथ्यहीन और प्रशासन की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया है। जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का अभियान से कोई संबंध नहीं है। समाचार बिना सत्यापन और अपूर्ण जानकारी के आधार पर प्रकाशित किया गया।
अभियान में 1.29 लाख जल संरक्षण कार्यों की फोटो अपलोड
डॉ. गौड़ा ने जानकारी दी कि JSJB 1.0 अभियान पिछले वर्ष शुरू हुआ था और 31 मई 2025 को समाप्त हो चुका था। अभियान के दौरान जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण और शहरी स्तर पर जनभागीदारी से विभिन्न संरचनाएं तैयार कराई गईं।
मीडिया रिपोर्ट में 1714 फोटो की जानकारी
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में मात्र 1714 फोटो अपलोड करने का दावा किया गया है, जबकि वास्तविक रूप से 1,29,046 कार्यों की फोटो पोर्टल पर अपलोड की गई, जिसका डेस्क और फील्ड वेरिफिकेशन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया गया। इसी आधार पर खंडवा को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
इन संरचनाओं में रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, सोख्ता गड्ढा, रिचार्ज पिट, डगवेल-बोरवेल रिचार्ज, चेकडैम और स्टॉपडैम की मरम्मत, गली प्लग, बोल्डर वॉल, कंटूर ट्रेंच, परकोलेशन पॉन्ड सहित कई कार्य शामिल थे। प्रशासन के अनुसार अभियान में न्यूनतम लागत और अधिकतम जनभागीदारी को सिद्धांत बनाया गया।
आरोपों पर दी सफाई
अक्टूबर 2025 की जिन फोटो को आधार बनाकर आरोप लगाए गए हैं, वे जल शक्ति अभियान- कैच द रेन के पोर्टल की हैं, जो JSJB 1.0 से पूरी तरह अलग है। जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि पुरानी जनसुनवाई शिकायतों को मिलाकर भ्रम फैलाने का प्रयास है। गौड़ा ने कहा कि रिपोर्ट पुरानी जनसुनवाई शिकायतों पर आधारित है, जिन पर पहले ही जांच और कार्रवाई की जा चुकी है। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार से जोड़ना एक सुनियोजित भ्रम फैलाना प्रतीत होता है।
कौन हैं डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा और खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता
गौरतलब है कि डॉ नागार्जुन बी गौड़ा 2019 बैच के अधिकारी हैं। हरदा में पोस्टिंग के दौरान भी इन पर जुर्माना माफ करने और जमीन खरीदने के आरोप लगा थे। वह मूल रूप से कर्नाटक के निवासी हैं। एमबीबीएस करने के बाद 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। पहले मणिपुर कैडर मिला था। इसके बाद कैडर ट्रांसफर करवाकर एमपी आए है। अभी खंडवा जिला पंचायत के सीईओ हैं।
कलेक्टर ऋषभ गुप्ता 2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। जल संरक्षण और जनभागीदारी आधारित विकास मॉडल की वजह से चर्चा में हैं। इसी काम में जिला प्रशासन पर खेल करने का आरोप लगा है।

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