शिमला
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं एक बार फिर संकट में आ गई हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) शिमला के रेजिडेंट डॉक्टरों ने आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसके चलते प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में OPD और रूटीन ऑपरेशन पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। हड़ताल के पहले दिन ही मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीज इलाज के लिए निजी अस्पतालों या पड़ोसी राज्यों का रुख करने को मजबूर हैं। SOP जारी, फिर भी हालात चिंताजनक
मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च डिपार्टमेंट (DMER) ने हड़ताल को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है। इसमें कहा गया है कि इलाज और पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि OPD पूरी तरह बंद हैं और मरीज बिना इलाज लौट रहे हैं।
सीएम के आश्वासन के बावजूद हड़ताल
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा मांगें मानने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। शुक्रवार को सीएम और डॉक्टरों के बीच बैठक भी हुई थी, लेकिन बात नहीं बनी।शनिवार से डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।
3000 से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) के समर्थन में हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (HMOA) और स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (SAMDCOT) भी उतर आई हैं। इससे करीब 3000 डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं।
क्या है पूरा विवाद?
22 दिसंबर को IGMC में पल्मोनरी डिपार्टमेंट के डॉक्टर राघव निरूला और एक मरीज के बीच मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था। दोनों पक्षों में विवाद हुआ, जिसके बाद सरकार ने जांच करवाई। जांच रिपोर्ट में डॉक्टर और मरीज—दोनों को दोषी बताया गया।
24 दिसंबर को सरकार ने डॉ. राघव निरूला को टर्मिनेट कर दिया। इसके बाद डॉक्टरों में आक्रोश फैल गया। मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। AIIMS दिल्ली के डॉक्टर भी RDA के समर्थन में आ गए हैं।
डॉक्टरों की प्रमुख मांगें
डॉ. राघव निरूला की बर्खास्तगी वापस ली जाए
IGMC परिसर में हुई हिंसा के दोषियों पर FIR दर्ज हो
डॉक्टरों को जान से मारने की धमकी देने वालों पर कार्रवाई हो
अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट
शनिवार को भी अस्पतालों की OPD बंद रही। मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर इसका गंभीर असर पड़ेगा।

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