ढाका
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता तारिक रहमान 24 दिसंबर को जब अपना मुल्क लौटने की तैयारी कर रहे थे. तो उनके मन में बांग्लादेश को लेकर एक सपना था. सेकुलर बांग्लादेश का, लोकतांत्रिक बांग्लादेश का. उस बांग्लादेश का जहां कानून का राज होगा. बांगलादेश को लेकर उनका सपना उनके भाषणों में साफ दिखता है. लेकिन ठीक उसी समय बांग्लादेश में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही थी.
24 दिसंबर की रात को बांग्लादेश के राजबाड़ी जिले के पांग्शा उपजिला में होसेंडांगा पुराने बाजार क्षेत्र में रात करीब 11 बजे एक भीड़ ने हिन्दू युवक अमृत मंडल की हत्या कर दी. भीड़ ने सबसे पहले अमृत मंडल पर हमला किया और उसकी खूब पिटाई कर दी. पुलिस ने उन्हें गंभीर हालत में उन्हें बचाया और अस्पताल पहुंचाया, जहां रात करीब 2 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
25 दिसंबर को अमृत मंडल की मौत हो गई और 25 दिसंबर को ही तारिक रहमान 17 सालों बाद लंदन से बांग्लादेश लौटे.
पहले दीपू, अब अमृत, 6 दिन में 2 हिन्दुओं की लिंचिंग
दीपू चंद्र दास की हत्या के 6 दिन बाद हुए इस कत्ल से बांग्लादेश का हिन्दू समुदाय सदमे में है. बांग्लादेश की पुलिस और अंतरिम सरकार इस घटना पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है.
पुलिस का कहना है कि यह सांप्रदायिक हमला नहीं था, बल्कि स्थानीय अपराधी गतिविधियों से जुड़ा मामला था. पुलिस का दावा है कि अमृत मंडल के खिलाफ हत्या सहित कई आपराधिक मामले दर्ज थे. और उसे एक स्थानीय गिरोह का सरगना माना जाता था.
अगर बांग्लादेश पुलिस का दावा सच भी है तो भी एक भीड़ को किसी की हत्या की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
25 दिसंबर को तारिक रहमान जब ढाका में अपनी पहली सभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने बांग्लादेश में हर कीमत पर कानून-व्यवस्था की मर्यादा कायम रखने की सलाह चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस को दी थी.
तारिक रहमान ने बुधवार को कहा, “देश की शांति और अनुशासन को किसी भी कीमत पर बनाए रखना होगा. साजिशों का मुकाबला करने के लिए सभी को धैर्य के साथ आगे बढ़ना होगा.”
ये बांग्लादेश मुसलमानों-हिन्दुओं का है
BNP के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि, "लोग लोकतंत्र वापस चाहते हैं. साथ मिलकर, हम एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाएंगे."
तारिक रहमान ने भले ही लोकतांत्रिक और सुरक्षित बांग्लादेश का सपना देखा हो लेकिन मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाला बांग्लादेश में हिन्दुओं के लिए न तो लोकतंत्र है और न ही वे यहां सुरक्षित दिख रहे हैं.
पहले 18 दिंसबर को दीपू चंद्र की हत्या इसके बाद 24 दिसंबर को अमृत मंडल की हत्या इसी का सबूत है.
तारिक रहमान के सपनों का बांग्लादेश अबतक सेकुलर दिखता है. 25 दिसंबर को अपने भाषण में उन्होंने इस बात पर जोर दिया.
तारिक रहमान ने ढाका के बाहरी इलाके पूर्बांचल में लाखों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, "आज बांग्लादेश के लोग बोलने का अपना अधिकार वापस पाना चाहते हैं. वे अपने लोकतांत्रिक अधिकार वापस पाना चाहते हैं." "अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर देश बनाएं. यह देश पहाड़ों और मैदानों के लोगों, मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों का है. हम एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां हर महिला, पुरुष और बच्चा घर से निकलकर सुरक्षित घर लौट सके."
यूनुस के राज में चटगांव में हिन्दुओं पर हमले बढ़े
बांग्लादेश के चट्टगांव में भी हिन्दू परिवारों पर हमले हुए हैं और मोहम्मद यूनुस की पुलिस रस्मी कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं कर पा रही है. चटगांव के राउज़ान के तीन इलाकों में पांच दिनों में अल्पसंख्यक समुदायों के चार घरों पर आगजनी की घटनाओं की एक सीरीज़ ने उपज़िला के निवासियों में डर फैला दिया है.
पीड़ितों और पुलिस के अनुसार हमले देर रात किए गए हमलावरों ने घरों में आग लगाने से पहले उनके मुख्य दरवाजों को बाहर से बंद कर दिया था.
हमले से बचते हुए ये हिन्दू परिवार बांस या टिन की दीवारों को काटकर भागने में कामयाब रहे.
ताज़ा घटना मंगलवार को सुबह करीब 3:45 बजे राउज़ान नगर पालिका के पश्चिम सुल्तानपुर के शिल्पारा में हुई, जिसमें सुलाल शिल और अनिल शिल के घरों को निशाना बनाया गया.
पुलिस ने घटनास्थल के पास से एक संदिग्ध हाथ से लिखा बैनर ज़ब्त किया. इसमें 43 मोबाइल फोन नंबर भी थे.
दोनों परिवारों के आठ सदस्य घरों के अंदर सो रहे थे, वे घने धुएं और आग की लपटों से जागे.
सुलाल के बेटे मिथुन शिल, जो दुबई में रहते हैं और तीन महीने पहले अपनी शादी के लिए घर लौटे थे, ने कहा, "हम घबरा गए और बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन हमने पाया कि दोनों दरवाजों पर बाहर से कुंडी लगी हुई थी." "आखिरकार, हमें अपनी जान बचाने के लिए बांस और टिन की दीवारों को काटना पड़ा."
मिथुन ने बताया कि उनका पासपोर्ट, फर्नीचर और एक महीने पहले शादी में मिले करीब 10 लाख रुपये के शादी के तोहफे आग में जलकर खाक हो गए.

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