जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति हिमांशु जोशी की एकलपीठ ने जमीन की सुरक्षा से जुड़े मामले में एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि इन दिनों देश के सभी हिस्सों में भू-माफिया सक्रिय हैं। जमीन की कीमतें हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। ऐसे में व्यक्ति के लिए अपनी जमीन को सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती है। इस मत के साथ कोर्ट ने कुछ शर्तों सहित एक मां को उसकी नाबालिग बेटी के नाम जमीन को बेचने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट ने यह भी माना कि अपीलकर्ता अपनी जमीन से सैकड़ों मील दूर रहती है, उसके लिए जमीन की देखभाल के लिए नियमित रूप से उस स्थान पर जाना संभव नहीं है। कोर्ट ने अपीलकर्ता मां को निर्देश दिए कि जमीन को बेचने के बाद मिली राशि में से 50 प्रतिशत रकम नाबालिग के नाम राष्ट्रीयकृत बैंक में एफडी के रूप में जमा कराए जाएंगे। नाबालिग के वयस्क होने पर ही यह राशि आहरित की जा सकेगी।
यूपी में रहने वाली महिला ने दर्ज की याचिका
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रहने वाली ज्योतिराज बालादास की ओर से अधिवक्ता योगेश सिंह बघेल व प्रवीण मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पति रेलवे में लोको पायलट थे। सेवा में रहने के दौरान 2022 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने जीवित रहते शहडोल के ग्राम सोखी में कुछ जमीन खरीदी थी। जमीन अपीलकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी के नाम है। मृत्यु के बाद ज्योतिराज को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और वह उत्तर प्रदेश में ही बस गईं।
अपीलकर्ता ने हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 के तहत अधीनस्थ अदालत में उक्त जमीन बेचने की अनुमति मांगी थी। अधीनस्थ अदालत ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया। लिहाजा, हाई कोर्ट में अपील दायर की गई। दलील दी गई कि अपीलकर्ता अपनी जमीन से 600 किलोमीटर दूर रहती हैं। उसकी जमीन पर भूमाफियाओं की नजर है। हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर राहतकारी आदेश पारित कर दिया।

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