कर्ज में डूबा पाकिस्तान: इंटरनेशनल एयरलाइंस बेचने पर मजबूर, मुनीर के ‘फौजी’ भी खरीदारी में शामिल

इस्लामाबाद 

पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की बिक्री जल्द ही होने वाली है. यह कदम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए गए 7 अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज की शर्तों के तहत उठाया जा रहा है. पाकिस्तान फाइनेंशियल क्राइसिस में फंसा हुआ है और कई बार कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज ले लिया है. इस कारण से पाकिस्तान को अपने राष्ट्रीय एयरलाइन को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

फौजी कंपनी 'फर्टिलाइजर' भी है शामिल
PIA की बिक्री के लिए चार कंपनियों को सबसे ऊपर रखा गया है. इनमें फौजी फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड भी शामिल है, जो पाकिस्तान की सैन्य कंट्रोल फौजी फाउंडेशन का हिस्सा है. बाकी तीन कंपनियों में लकी सीमेंट कंसोर्टियम, आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन कंसोर्टियम और एयर ब्लू लिमिटेड का नाम सामने आ रहा है. बिक्री की बोली 23 दिसंबर, 2025 को होगी और इसे सभी मीडिया पर लाइव दिखाया जाएगा.

2 दशकों में सबसे बड़ी निजीकरण योजना
PIA की बात करें तो ये पिछले 2 दशकों में पाकिस्तान की सबसे बड़ी निजीकरण योजना है. सरकार ने बताया कि इस साल कुल 86 अरब रुपये की बिक्री का प्लान है. PIA की पिछली बोली में केवल 15% राशि सरकार के पास गई थी, जबकि बाकी का पैसा एयरलाइन में ही निवेश कर दिया गया था.

नकली लाइसेंस के साथ पायलट भर रहे हैं उड़ान
PIA पिछले कई सालों से गंभीर संकट में है. 2020 में यह सामने आया कि एयरलाइन के 30% पायलट नकली या संदिग्ध लाइसेंस के साथ उड़ान भर रहे थे. इस कारण 262 पायलटों को निलंबित किया गया और ऑपरेशन में बड़ी बाधाएं आईं थी. यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन ने सुरक्षा कारणों से PIA की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इन प्रतिबंधों के कारण एयरलाइन को करोड़ों डॉलर का नुकसान हो रहा था.

200 अरब से अधिक है कर्ज
इतना ही नहीं पाकिस्तान सरकार में अंदरूनी समस्याएं भी गंभीर हैं, जैसे अधिक कर्मचारियों, राजनीतिक नियुक्तियों और nepotism ने एयरलाइन के खर्च और अच्छे काम करने वाले लोगों को प्रभावित करने का काम किया है. साथ ही 2020 में PIA Flight 8303 के क्रैश ने पाकिस्तान ने सुरक्षा जांच और फ्लीट मेंटेनेंस की जरूरत बढ़ा दी है. इन सभी कारणों से एयरलाइन पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है और नुकसान पाकिस्तानी रुपयों में 200 अरब से अधिक हो गया है.

विशेषज्ञों का कहना है कि PIA की परेशानियां केवल एक घटना के कारण नहीं हैं, बल्कि लंबे समय से चली आ रही वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियां भी इसका परिणाम हो सकती हैं. अब सरकार और IMF की शर्तों के तहत एयरलाइन को बेचकर उसकी फाइनेंशियल स्थिति को सुधारने का काम करेगी.