रायपुर
खूंखार नक्सली हिड़मा के एनकाउंटर के बाद नक्सली संगठनों में हड़कंप मचा हुआ है। नक्सलियों ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखकर संघर्ष विराम की अपील की है। नक्सलियों के लिखे लेटर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। राज्य में नई सरकार बनने के बाद से ही लगातार नक्सलियों से अपील की जा रही है कि वे हिंसा के रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में लौटें और विकास की राह पर आगे बढ़ें।
संवाद और विश्वास से संभव है
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, "हमने हमेशा कहा है कि सरकार उनके लिए न्याय सुनिश्चित करेगी, जो भी रास्ता शांति और विकास का होगा, सरकार उसे पूरा समर्थन देगी।" मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि वर्षों से हिंसा के कारण पिछड़ चुके क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जाए और वहां रहने वाले युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाया जाए। नक्सलवाद की समस्या का समाधान केवल हथियारों से नहीं, बल्कि संवाद और विश्वास से संभव है।उन्होंने उम्मीद जताई कि नक्सली संगठनों के लोग इस अपील को समझेंगे और हथियार छोड़कर समाज और राष्ट्र के हित में आगे आएंगे। सीएम ने कहा कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्य धारा में लौट आएं। उसके बाद हर तरह की बातचीत संभव है। उन्होंने सुरक्षाबल के जवानों के हौंसले को भी सलाम किया।
नक्सलियों ने जारी किया है लेटर
नक्सलियों ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्री से अपील की है कि 15 फरवरी तक ऑपरेशन रोक दें। इस दौरान नक्सली भी कुछ नहीं करेंगे। युद्धविराम के दौरान कोई गोलीबारी नहीं हो। नक्सली संगठन हिड़मा के एनकाउंटर के बाद से खौफ में हैं।
क्या लिखा है लेटर में
नक्सली संगठन ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीएम को लेटर लिखा है। यह बयान माओवादियों की स्पेशल जोनल कमेटी की तरफ से जारी किया गया है। लेटर में कहा गया है कि तीनों राज्यों की सरकारें 15 फरवरी 2026 तक युद्धविराम को रोक दें। संगठन का कहना है कि यदि सरकारें गोलीबारी रोकती हैं तो वे भी इस अवधि में PLGA गतिविधियों को बंद रखेंगे। संगठन ने यह भी लिखा कि अगर सरकार युद्धविराम मानती है तो वे आगे बातचीत के लिए भी तैयार हैं।
नक्सलियों के ठिकाने पर मारी रेड
राजनांदगांव जिले में सुरक्षाबल के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान जवानों ने नक्सली सामग्री बरामद की है। बोरतलाव थाना क्षेत्र के कौहापानी गांव के पहाड़ी जंगल क्षेत्र में जवानों ने सर्चिंग अभियान शुरू किया था। जवानों को जानकारी मिली थी कि इस इलाके में बड़ी संख्या में नक्सली मौजूद हैं। जिसके बाद मध्य प्रदेश के बालाघाट, महाराष्ट्र की गोंदिया और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई एवं राजनांदगांव जिले की संयुक्त टीमों ने अभियान चलाया।
सर्चिंग के दौरान पुलिसकर्मियों एवं नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जिसमें जिला बालाघाट के निरीक्षक आशीष शर्मा गोली लगने से शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के बाद नक्सलियों की घेराबंदी के लिए अभियान को और अधिक तेज किया गया था। लगभग 300 अतिरिक्त बल को ऑपरेशन में शामिल करते हुए लगातार 3-4 दिनों तक सघन सर्चिंग की गई।
नक्सलियों की सामग्री बरामद हुई
सर्चिंग पार्टी 22 नवंबर को नक्सलियों के डेरे तक पहुंची, जहां पुलिस को देख नक्सली अपने सामान को छोड़कर जंगल की ओर भाग निकले। घटनास्थल से बड़ी मात्रा में दैनिक उपयोग की सामग्री एवं नक्सली सामग्री बरामद की गई, जिनमें नक्सलियों की वर्दी, पिट्ठू बैग, लिखे हुए दस्तावेज एवं डायरियां, वर्दियां, सोलर पैनल एवं चार्जिंग सेट्स, खाना बनाने के बर्तन, टेंट, तिरपाल, वॉकी-टॉकी सेट, विस्फोटक सामग्री और राशन सामग्री हैं।
कई नक्सलियों के घायल होने की खबर
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मुठभेड़ स्थल से कुछ दूरी पर खून के धब्बे पाए गए, जिससे यह आशंका है कि इस मुठभेड़ में कम से कम 3 नक्सली गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनमें एक की स्थिति अत्यंत गंभीर बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, घायल नक्सलियों के उपचार के लिए नक्सली दस्ता स्थानीय ग्रामीणों से दवाई एवं डॉक्टर की व्यवस्था करने के प्रयास कर रहा था, किंतु ग्रामीणों ने उसका विरोध किया तथा सहयोग करने से इनकार किया।
जारी रहेगा नक्सल विरोधी अभियान
इस अभियान में एसटीएफ बघेरा की 6 पार्टियां, डीआरजी मोहला एवं डीआरजी राजनांदगांव की पार्टियां सम्मिलित रहीं। सर्चिंग के दौरान नक्सलियों द्वारा छोड़ी गई सभी सामग्री को जब्त किया गया है। आने वाले दिनों में भी एसटीएफ एवं जिला बल, पड़ोसी राज्यों के बल के द्वारा संयुक्त कार्रवाई करते हुए सघन नक्सल विरोधी अभियान निरंतर जारी रहेगा।

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