एग्जिट पोल में बढ़त के बावजूद NDA की बढ़ी टेंशन, किस आंकड़े से बजा अलार्म?

नई दिल्ली 
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को आने वाले हैं। उससे पहले आए ज्यादातर एग्जिट पोल्स में एनडीए की वापसी का अनुमान जताया गया है। इन सर्वे में बताया गया है कि एनडीए को 150 से 170 सीटें हासिल हो सकती हैं, जबकि महागठबंधन के 100 से नीचे ही रह जाने का अनुमान है। ऐसे दो ही सर्वे हैं, जिनमें टाइट फाइट की बात कही गई है। फिर भी एनडीए के लिए एक आंकड़ा चिंता की वजह है। यह आंकड़ा बिहार में बढ़े हुए मतदान का है। बिहार में इस बार के मतदान ने सभी को चौंका दिया है। 1952 के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा मतदान इस बार बिहार में हुआ है।

कुल मिलाकर 66.91 फीसदी वोटिंग हुई है। 2020 के मुकाबले यह मतदान 9 फीसदी ज्यादा है। 2020 में 57.29% वोटिंग ही हुई थी। यही आंकड़ा एनडीए के लिए चिंता की भी बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के चुनावी इतिहास में जब भी वोटिंग में इजाफा हुआ है तो परिवर्तन हुआ है। इसीलिए विपक्ष के लोग बढ़े हुए मतदान को परिवर्तन के लिए पड़ा वोट बता रहे हैं। बीते चुनाव का डेटा देखें तो तीन बार सरकार बदली है, जब मतदान 5 फीसदी अधिक बढ़ा है। 1967 के चुनाव में 1962 की तुलना में 7 फीसदी वोट बढ़ा था और नतीजा आया कि कांग्रेस की सरकार बदल गई। यहीं से बिहार में गैर-कांग्रेसी सरकारों के गठन की शुरुआत हुई।

एग्जिट पोल्स के बाद भी क्यों बढ़ी है धुकधुकी
इसके बाद 1980 के चुनाव का एक उदाहरण है। तब 57.3 फीसदी वोट हुआ था, जबकि 1977 में 50.5 पर्सेंट ही वोटिंग हुई थी। इस तरह करीब 7 फीसदी वोट बढ़ा और नतीजा था कि सत्ता बदल गई। ऐसी ही स्थिति 1990 में भी दोहराई गई। तब मतदान में 5.7 पर्सेंट का इजाफा हुआ और कांग्रेस की सरकार चली गई। जनता दल की वापसी हुई। ऐसे में इस आंकड़े को लेकर धुकधुकी बढ़ी हुई है। कहा जा रहा है कि बिहार में कहीं फिर से सत्ता ना बदल जाए। हालांकि एनडीए को बढ़े हुए मतदान से अपनी जीत की उम्मीद इसलिए है क्योंकि महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है।

महिलाओं का वोट पुरुषों से 9 फीसदी ज्यादा पड़ा
चुनाव आयोग का कहना है कि महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोट किया है। बिहार में यदि कुल मतदान 66.9 फीसदी है तो वहीं पुरुषों का आंकड़ा 62.8 पर्सेंट ही है। वहीं महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6% है। महिलाओं को नीतीश कुमार का समर्थक वर्ग माना जाता है। इसलिए एनडीए को उम्मीद है कि शायद बढ़े वोट का उन्हें फायदा मिले। फिर भी नतीजे आने तक चिंता तो बनी ही हुई है।