भोपाल
एक नवंबर से मध्यप्रदेश के सभी नगर निगम दफ्तरों में फेस अटेंडेंस (चेहरा दिखाकर उपस्थिति) ही मान्य होगी। इस प्रक्रिया से आउटसोर्स कर्मचारियों को मुक्त रखा था। गुरुवार को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने आउटसोर्स कर्मचारियों को भी चेहरा दिखाकर उपस्थिति दर्ज कराने की अनिवार्यता कर दी है। नई व्यवस्था में इंदौर नगर निगम सबसे पीछे है।
उपस्थिति दर्ज कराने के लिए निगम के सभी ऑफिसों में एक-एक मशीन होने से कम अटेंडेंस लगी हैं। ऐसे में वे एक ऐप के जरिए मोबाइल से भी उपस्थिति दर्ज कराई जा सकेगी। नगरीय प्रशासन और नगर निगम इंदौर ने चेतावनी दी है कि फेस अटेंडेंस के बिना उपस्थिति दर्ज नहीं होगी तो वेतन जारी नहीं होगा। अब तक इससे आउटसोर्स कर्मचारियों को दूर रखा गया था।
मोबाइल से भी लगा सकेंगे हाजिरी
निगम के सभी दफ्तरों में एक-एक मशीन लगाई गई है। ट्रायल के दौरान देखा कि कर्मचारियों के आने-जाने का समय एक ही है। इस कारण अब उन्हें राहत दी गई है कि वे मोबाइल से भी चेहरा दिखाकर उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे, लेकिन यह ऐप उसी स्थान पर चलेगा जिस लोकेशन पर रजिस्टर्ड है यानी दतर या तय स्थान से दूर होने पर उपस्थिति दर्ज नहीं होगी। मस्टर कर्मचारी संघ के संयोजक संवाद प्रमुख प्रवीण तिवारी ने कहा, शासन का आदेश सभी के लिए एक होना चाहिए। इससे कर्मचारी में हो रहे मतभेद खत्म होंगे।
पंजीयन का दिया आखिरी अवसर
इंदौर निगम की स्थापना शाखा के अपर आयुक्त कार्यालय से जारी आदेश में कहा है कि सभी विभाग प्रमुख, जोनल अधिकारी और कार्यालय अधीक्षक तय करें कि अब नई पद्धति से ही स्टाफ की उपस्थिति दर्ज होगी। सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की आधार आधारित केन्द्रीकृत उपस्थिति ही दर्ज की जाएगी। कार्यालय आने-जाने के समय रोज उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य है, नहीं तो वेतन नहीं दिया जाएगा। कर्मचारी को खुद का पंजीयन करना होगा, जिसके लिए 30 अक्टूबर आखिरी तारीख थी।
इंदौर सबसे पीछे, भोपाल रहा अव्वल
नई व्यवस्था की प्रादेशिक स्तर पर प्रतिदिन मॉनिटरिंग हो रही है। इंदौर सबसे पीछे और अव्वल भोपाल है। इंदौर में 22582 कर्मचारी-अधिकारी में से सिर्फ 3828 करीब १७त्न ने ही उपस्थिति दर्ज कराई। भोपाल में 19739 रजिस्टर्ड में से 12577 ने फेस अटेंडेंस के जरिए उपस्थिति दी।
चेहरा दिखाकर उपस्थिति दर्ज कराने में मशीन के जरिए मुसीबत हो रही थी। साथ ही आउटसोर्स कर्मचारियों को इससे दूर रखने पर भी कुछ खास संगठनों में नाराजगी थी। आउटसोर्स कर्मचारियों, जो कि नेताओं के खास समर्थक आदि हैं, उन्हें राहत दी जा रही है। तकनीकी खामी से विभिन्न संगठनों ने मांग की थी कि मोबाइल ऐप के जरिए भी उपस्थिति दर्ज कराने की सुविधा हो और एक समान व्यवस्था हो।

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