मध्य प्रदेश में बनाए जाएंगे 50000 तालाब, सरकार ने की बड़ी घोषणा

भोपाल

मध्य प्रदेश सरकार ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत प्रदेश के सभी 52 जिलों में 50 हजार खेत तालाब बनाने का लक्ष्य रखा है। ये खेत तालाब प्रदेश के किसानों की सिंचाई में मदद करने के साथ जल संरक्षण को मजबूती देने का काम करेंगे। यह पहल वर्तमान जल संचयन संरचनाओं की मरम्मत के साथ नई संरचनाओं के निर्माण पर आधारित है।

खेत तालाब निजी खेत पर बनी जल भंडारण की संरचना होती है। ये तालाब कृषि से जुड़े कई कार्यों में काम आते हैं, जैसे रबी और खरीफ फसलों की सिंचाई, मछली पालन, सिंघाड़े की खेती, पशुओं के लिए पीने का पानी आदि। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सभी जिला पंचायतों के सीईओ को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि इन 50 हजार खेत तालाबों के निर्माण के लिए विशिष्ट जिलाों के हिसाब से लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इस बड़े पैमाने की परियोजना के लिए वित्तीय संसाधन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) – वाटरशेड विकास घटक से रणनीतिक रूप से तैयार किए जाएंगे।
 
इस अभियान के तहत कई कारकों को ध्यान में रखकर इंदौर में कम से कम 55 तालाब और नीमच में कम से कम 57 तालाब खोदने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं, बालाघाट को अधिकतम 3,900 तालाब खोदने का लक्ष्य दिया गया है। इसी तरह शहडोल जिले में 3,746 तालाब खोदने का लक्ष्य दिया गया है।

खेत तालाबों के निर्माण के लिए सही जगह का चयन अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू होगा। इस अभियान के तहत तालाबों के निर्माण के लिए खेतों के निचले हिस्सों को प्राथमिकता दी जाएगी। खेत के निचले हिस्से में प्राकृतिक प्रवाह के कारण सबसे अधिक पानी जमा होता है। इसी तरह तालाब वहीं बनाए जाएंगे जहां उनके ऊपर की तरफ (अपस्ट्रीम) से इतना पानी आ सके जो तालाब की जरूरत को पूरा कर सके। राज्य में जितनी औसतन बारिश होती है और जो खेती के तरीके हैं उन्हें देखते हुए सरकार ने तय किया है कि कुल खेती योग्य जमीन में से करीब 10% जमीन पर ही फार्म पोंड बनाए जाएंगे।

कुशल जल प्रबंधन सुनिश्चित करने और केंद्रित जल प्रवाह को रोकने के लिए तालाब खोदने की जगह चयन प्रक्रिया एक चरणबद्ध तरीके का पालन करेगी। इस तरीके में विभिन्न खेतों में प्रस्तावित जगहों को एक सीधी रेखा के बजाए जिग-जैग पैटर्न में चुना जाएगा। सबसे उपयुक्त स्थानों के चयन में सहायता के लिए एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी किया जाएगा। मनरेगा के तहत किसानों की जरूरतों के आधार पर 400 क्यूबिक मीटर, 800 क्यूबिक मीटर, 1000 क्यूबिक मीटर और 3600 क्यूबिक मीटर की भंडारण क्षमता वाले खेत तालाबों का निर्माण किया जा सकता है। इन तालाबों के आकार के लिए डिजाइन और परियोजना अनुमान प्रदान किए गए हैं। पीएमकेएसवाई-वाटरशेड विकास योजना के तहत निर्मित खेत तालाबों की न्यूनतम भंडारण क्षमता 3600 क्यूबिक मीटर होगी।

खेत तालाबों से अत्यधिक रिसाव को नियंत्रित करने के उपाय लागू किए जाएंगे। इन तालाबों से निकली मिट्टी का उपयोग तटबंध बनाने में किया जाएगा। ग्रामीण अभियांत्रिकी सेवा के इंजीनियर (कार्यपालन अभियंता, सहायक अभियंता, उप अभियंता) इन खेत तालाबों के निर्माण की गुणवत्ता की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे।

50 हजार खेत तालाब बनाने की घोषणा
आयोजित पंच-सरपंच सम्मेलन में मंत्री पटेल ने ग्राम पंचायतों के विकास को लेकर सरकार की योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों को ई-ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत पंचायतों के लिए सुविधायुक्त भवनों का निर्माण प्राथमिकता पर किया जा रहा है। जलगंगा संवर्धन अभियान के तहत प्रदेश में 50 हजार खेत तालाब बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में कई पंचायत भवन आज भी अधूरे हैं या उपर नहीं हैं, जबकि अन्य राज्यों में दो से तीन मंजिला पंचायत भवन बन रहे हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए अब नए मॉडल के अनुसार पंचायत भवनों का निर्माण किया जाएगा।

आयोजन में मौजूद लोग
बलिदान गाथाओं का हुआ स्मरण- कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों द्वारा रानी अवंती बाई लोधी के बलिदान को याद करते हुए उनके साहस और समर्पण की कहानियों का उल्लेख किया गया। सभी ने बुजुर्ग दानदाता बेटी बाई लोधी के योगदान की सराहना की और पुष्पमालाएं अर्पित कर सम्मानित किया। इस दौौन बड़वारा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह, जिला पंचायत सदस्य कविता राय, अजय गोटिया, राकेश सिंह लोधी, जनपद अध्यक्ष सुनीता दुबे, जनपद उपाध्यक्ष दुर्गा पटेल, मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी, आशीष चौरसिया, जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत, एसडीएम विंकी सिंहमारे, जनपद सीईओ यजुर्वेद्र कोरी, पूर्व जनपद अध्यक्ष प्रकाश सिंह बागरी, शंकर महतो, पूर्व मंडल अध्यक्ष डॉ. प्रशांत राय, पंकज राय, सरपंच कैलाश चंद्र जैन आदि मौजूद रहे।